ગુરુવાર, 26 મે, 2011

साथ कभी चले थे


क्या यह वही राह है जीसपर साथ कभी चले थे,
मुश्करते हुए राहदार बनकर साथ कभी चले थे,

गर "हां" तो कहां हो, गर "ना" तो कहां हो,
यादका बहाना लेकर कहो साथ कभी चले थे,

"हां" कह कर चहेरा मोड न लेना नफरत से,
वफासे शीकवाकर कह देना साथ कभी चले थे,

"ना" कह कर न मुश्करा उठना जुठे मन से,
वादियोसे जरा पुछना क्या साथ कभी चले थे?

चले थे यह तो हकीकत है इससे ना कतराओ,
चांद सीतारे भी गवाही देंगे साथ कभी चले थे ।

नीशीत जोशी 25.05.11

ટિપ્પણીઓ નથી:

ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો