दिलेईश्कमें करे जो फतेह सीकंदर वही कहेलाता है,
राह-ए-प्यारमें जो दे साथ कलंदर वही कहेलाता है,
कांटोकी सैज पर सोते है वो बहोत से फुल चमनमे,
खुश्बुसे महका दे पुरा बाग बहेतर वही कहेलाता है,
ऐसे शुकुन मिलता है मुलाकात पर बैचेन दिलको,
मुश्कुराकर बोले मीठे बोल दिलबर वही कहेलाता है,
शामे-महेफिल सजे शमा हो जाये रोशने-गुलफाम,
हर शक्स गुनगुनाये तेरी गझल प्रहर वही कहेलाता है,
नाम ले ले के नीशीत जीसका जीते हो जहांमें बाबस्ता,
लगा झख्मको बनादे नासुर सीतमगर वही कहेलाता है,
वे फरिस्ते भी न देख सके तेरा वो बहेतरीन जलवा,
देखले जो हर जगह सुरत तेरी पैगंम्बर वही कहेलाता है ।
नीशीत जोशी 05.05.11
શનિવાર, 14 મે, 2011
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