રવિવાર, 26 ઑગસ્ટ, 2012
बड़ी गुस्ताख है तेरी यादे
तस्सवुर में हरदम तेरी तस्वीर उभर जाती है,
धड़कन तेरे नाम बगैर आने से मुकर जाती है,
बड़ी गुस्ताख है तेरी यादे इसे तमीज सिखा दो,
दस्तक भी नहीं देती और दिल में उतर जाती है,
सारा दिन दीवाना बेचैन बना के रखती है मुझे,
सारी सारी रात तेरी ही यादो में गुजर जाती है,
उतर आये परहेज नहीं इस तड़पते दिल को कोई,
हसीन यादो के सहारे ही मेरी बची उमर जाती है,
याद के आने से कलम भी दिखाती है हुन्नर कोई,
यादो में लिखी हर गलत ग़ज़ल भी सुधर जाती है |
नीशीत जोशी 25.08.12
कुछ और बात होती
तुम अगर मुझे मिल जाते तो कुछ और बात होती,
तुम गर मेरा साथ निभाते तो कुछ और बात होती,
जो लगाई है उस महेंदी का रंग और निखर जाता,
मेरे नाम हाथो में सजाते तो कुछ और बात होती,
किसी और के बुलाने पे चल दिए हो दुल्हन बनकर,
मेरी आवाज सुन चले आते तो कुछ और बात होती,
दिल की धड़कने भी धीमी पड़ गयी तेरे चले जानेसे,
दर्द-ए-दिल का इलाज बताते तो कुछ और बात होती,
भूल गए है मुश्कुराना तुजसे बिछड़ने के बाद हम तो,
अगर साथ रह के हमें हसाते तो कुछ और बात होती !
नीशीत जोशी 24.08.12
इस दौर में
इस दौर में जो देखना नहीं है वही दिखता है,
महेंगायी में वोह बेचारा गरीब ही पिसता है,
इन्सान जी रहा है आतंक के डर से जहां में,
और आतंकवाद आसमाँ चढ़ कर चीखता है,
कमान संभाली हुयी है हमारे चुने नेताओं ने,
सेवाभाव भूल के वो खुर्शी के लिए बिकता है,
न जाने किसको दोष दे ये जालिम जमाने में,
बच्चा भी जन्म के साथ भ्रष्टाचार सिखाता है,
लोग तो दौड़े जा रहे है आगे बढ़ने की हौड में,
भाई खुद के भाई को पछाड़ने टांग खिचता है,
सिकंदर बने फिरते है देशद्रोही भी अपने यहाँ,
शरण भी उन्हें अपनी सरकार से ही मिलता है,
न ठहर पायेगा खुदा भी आज इस धरती पर,
पल पल बरदास्त कर इंसानी जीवन निभता है !
नीशीत जोशी 23.08.12
र्शीषक अभिव्यक्ति मेँ उनवान *** "जग/जगत/विश्व/दुनिया/संसार/जहान" पर मेरी कोशिश
र्शीषक अभिव्यक्ति मेँ उनवान *** "जग/जगत/विश्व/दुनिया/संसार/जहान" पर मेरी कोशिश
यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है,
प्यार के बाजार में दिल भी जाए तो क्या है,
बहारो के मौसम में भी तो मुराजाते है फुल,
पतजड़में गर फुल खिल भी जाए तो क्या है,
मिलने पर अमावस्या भी लगे चाँदनी जैसी,
पूर्णिमाको गर चाँद हील भी जाए तो क्या है,
जहांवाले तो कहते ही रहेगे प्यार को गुनाह,
मगर टुटा दिल गर सील भी जाए तो क्या है,
इल्तजा है उनके मुह से इकरार सुन लेने की,
एकबार वोह अकेले मिल भी जाए तो क्या है !
नीशीत जोशी 22.08.12
कुछ लिखा नही है
आज ये दिल अभी चिखा नही है,
बाज़ार में वो प्यार बिका नहीं है,
लिखने बैठे थे कागज़ ले कर हम,
कलम ने आज कुछ लिखा नही है,
अल्फाज उतर आयेंगे ऐसे तो यहाँ,
पर तेरा ख्वाब अभी दिखा नही है,
कैसे कहे हर चहेरा को नुरानी सा,
तेरे आगे कोई चहेरा टिका नहीं है,
यादो से परेशान है कलम भी आज,
जुस्तुजू बयाँ करना सिखा नहीं है,
नीशीत जोशी 21.08.12
તુજની યાદ
સાંજ થાય છે 'ને તુજની યાદ આવે છે,
રાત્રે નીદંરમા તુજના સ્વપ્ન સતાવે છે,
હજી પણ એ જ છુ એવો જ છુ તુજ કાજે,
શા માટેને બીજાના ઉદાહરણો બતાવે છે,
લોકોએ તો બનાવ્યો છે ચર્ચા નો વિષય,
મુજની નુખ તુજ નામ પાછળ લગાવે છે,
બળતુ રહે છે મુજ હ્રદય ચીરાગ માફક,
પણ તુજ દિલ શા માટે આમ જલાવે છે,
સોપી એ દિલ એકરાર કરી લીધો પ્રેમનો,
શાને તુજ નયનો મુજ નયનથી બચાવે છે .
નીશીત જોશી 20.08.12
" ईद मुबारक "
आप सभी भाईओ को " रमदान " के आखरी दिन की मुबारकबाद
और साथ साथ सभी को " ईद मुबारक "
नबी से मिलने की कशिश सीने में है,
बंदगी की ख़ास मजा तो मदीने में है,
उनके आगोश से छूटने का न लू नाम,
फूलो सी वो खुश्बू उनके पसीने में है.......
नीशीत जोशी 19.08.12
રવિવાર, 19 ઑગસ્ટ, 2012
अखबार
दर्द का अखबार में विस्तार होता है,
सुबह पूरा ये शहर अखबार होता है,
पन्ने को पलटते है सुबह अखबार के,
वो सारा दिन अपना जोरदार होता है,
हो अफवा या सच्ची कोई बात मगर,
पढ़नेवाला तो पढ़ के मजेदार होता है,
पसंदीदा समाचार पढ़ के अखबार में,
शौखिनो का मिजाज शानदार होता है,
हिंसा बलात्कार अत्याचार के किस्से,
एक बार नहीं,लिखा कई बार होता है !
नीशीत जोशी 18.08.12
मिल गया
मुझे सहारे वास्ते कन्धा मिल गया,
अरे,मुझे प्यारा सा बन्दा मिल गया,
न आव देखा न ताव कर बैठा प्यार,
अरे,मुझे प्यार का अन्धा मिल गया,
पकड़ लिया हाथ उसने अपने हाथोमें,
अरे,मुझे अपना हाथ बंधा मिल गया,
भूल गए सब काम काज उनके साथमें,
अरे,मुझे प्यारा नया धंधा मिल गया,
हालात ऐसे हुए गर ना मिले एक दिन,
अरे,मुझे जैसे गले का फंदा मिल गया !
नीशीत जोशी 17.08.12
प्यार
हर कोई के नसीब में नहीं हुआ करता है प्यार,
एक दूजे को सही समजनेसे ही चलता है प्यार,
चाँद तारे तोड़के लाने की बात करते है प्यार में,
मगर कौन आसमान तलक का करता है प्यार,
बात जब दिल टूटने तलक की आ जाती है तब,
दिल के साथ साथ बेबस हो के जलता है प्यार,
जुक जाने से कोई छोटा नहीं हो जाता जहां में,
गुस्से में खामोश रहने वालो में फलता है प्यार,
आब-ए-चश्म की नुमाइश से क्या हासिल होगा,
हुए नासूर घावो को भी बखूबी से भरता है प्यार .
नीशीत जोशी 16.08.12
"शीर्षक अभिव्यक्ति" में उनवान ***चन्द्रमा/चन्द्र/चंदा/चाँद/महताब/माहताब/*** पर मेरी कोशिश..."
"शीर्षक अभिव्यक्ति" में उनवान ***चन्द्रमा/चन्द्र/चंदा/चाँद/महताब/माहताब/*** पर मेरी कोशिश..."
कहते है उस चाँद में भी दाग है,
पर जान लो उस में भी आग है,
चमकता है फिर जाता है छुप,
चांदनी संग प्रेम का ही भाग है,
मशहूर होता है सितारों के संग,
वो चाँद वास्ते तारो का बाग़ है,
खामोश निगाह से निहारे चांदनी,
मौन चाँद का अलायदा राग है,
मौसम चाँद के भी तो होते होगे,
बारिश शायद चाँद के लिए फाग है |
नीशीत जोशी 15.08.12
गझल तेरे नाम की
मेरे दिल में तेरी ही तस्वीर छायी है,
जहां भी देखू बस तेरी ही परछायी है,
इश्कको गूनाह कहने बाझ नही आते,
दलदल है ये बात भी हमे समजायी है,
तेरे हसीं चहरे ने किया है बेबस मुझे,
न जाने ये रुह कैसे रुह से टकरायी है,
ऐसे तो अल्फाज उतर आते है बाबस्ता,
मत्ला कमजोर और गझल शरमायी है,
युं कही नही जाती गझल तेरे नाम की,
तस्सवूर में तूम आये तभी फरमायी है !
नीशीत जोशी 13.08.12
जी करता है
तेरे आचल मे छुपने को जी करता है,
तेरे पहेलु मे सीमटने को जी करता है,
कितना भी हो गहेरा समन्दर दिलका ,
तेरे उस दिलमे उतरने को जी करता है,
तेरी तिरछी नजरो से घायल हो कर भी,
तेरे कमलनयनोमे बसनेको जी करता है,
तेरी मुश्कुराहट ने बना दिया है दीवाना,
तेरे होठोकी हसी बनने को जी करता है,
अब अपनाए या ठुकराए मुझे तेरी मरजी,
तेरे चरणो मे उम्र बीताने को जी करता है !
नीशीत जोशी 12.08.12
રવિવાર, 12 ઑગસ્ટ, 2012
वो समंदर ही क्या
वो समंदर ही क्या जिसका कोई किनारा न हो,
वो इबादत ही क्या जिसका कोई बहाना न हो,
उतर जाते है समन्दरमें मोतिओ की तलाशमें,
वो डूबना ही क्या जिसका कोई फ़साना न हो,
महेफिलो की रोनक तो बढ़ती है उन चरागोंसे,
वो चराग ही क्या जिस पर कोई परवाना न हो,
सरगमकी धुन कानोको लगाती है बहोत मधुर,
वो मधुर धुन ही क्या जिसका कोई तराना न हो,
कहते है मारता नहीं बचाता है तू सबको जहां में,
वो इंसान ही क्या जो तेरे नामका दीवाना न हो !
नीशीत जोशी 11.08.12
સંભવ નથી
તુ ચીત ચોરે કે ચોરે ચીર મુજના,
જમુના તટે ન આવુ એ સંભવ નથી,
હું પ્રિય તુજની તુ પ્રિયતમ મુજનો,
હ્રદય બીજા ને સોપુ એ સંભવ નથી,
તુ નયનો થી નયન મેળવી રાખ,
હું મુજ પલક નમાવુ એ સંભવ નથી,
તુ માળી છે 'ને હું કળી છુ તુજની,
'ને છતાં જો ન ખીલુ એ સંભવ નથી,
તુ વાંસળી ની ધુને નચાવ મુજને,
હુ પગે ધુંધરૂ ન બાંધુ એ સંભવ નથી,
તુ વાંસળી વગાડી કરીજો ઇશારો,
હુ મધુવન જો ન આવું એ સંભવ નથી,
તુ રહે જો મુજની સાથ હરપળ,
જગની ભીડે ભુલા પડવુ એ સંભવ નથી,
જ્યારે તુ તારણહાર છે મુજનો,
મુજ દરીયામાં ડૂબી જાવુ એ સંભવ નથી.
નીશીત જોશી 10.08.12
HAPPY JANMASTAMI
कोई औकात नहीं मेरी,
जो तुजे धरु पकवान ढेरी,
माखन मिश्री दूध दही चाह तेरी,
पास मेरे तो वो भी नहीं,
जो है तो सिर्फ हे प्यार दुलार,
मोरे कान्हा,
क्यों करू देने में उसे देरी,
स्वीकार कर प्यारी पुकार मेरी.....
कृष्णा जन्म के पावन पर्व पर आप सभी को शुभ कामानाए और हार्दिक बधाई !
नीशीत जोशी 09.08.12
ॐ नमः शिवाय
मेरे बाबा की महिमा अपरम्पार है,
सारे जग के वही एक पालनहार है,
नहीं है कोई आलिशान महल पास,
कैलाश में ही उनका बस संसार है,
भंग धतूरा खा के रहे वोह मस्तीमें,
नहीं लगता गंगाका माथे पे भार है,
भस्म का कर के लेप बने सुन्दरम,
ना हाथी ना धोड़ा, नंदी ही सवार है,
दूध चडाओ चाहे चडालो उन पे दही,
भक्तोकी तो उन पे जलकी ही घार है,
भक्तोके वास्ते वो भोला है भंडारी भी ,
जग में ॐ नमः शिवाय ही पुकार है !
नीशीत जोशी 06.08.12
बना जा रहा हु मैं
ना चला अपनी नयनो के तीर दीवाना बना जा रहा हु मैं,
ना जलाओ ऐसे चराग-ए-दिल परवाना बना जा रहा हु मैं,
कैसे संभाला जाए खुद के दिल को ऐसी अदाकारी से यंहा,
ना बरसाओ कातिल मुश्कान अफसाना बना जा रहा हु मैं,
तेरी हिना की रंगत देख कर रश्क होता है खुद पर अब तो,
दिल ही दिल में लगी महेंदी का फ़साना बना जा रहा हु मैं,
क़यामत ढाती है तेरे ये गुलाबी ओठो की नजाकत मुज पर,
कमसिन ओठ की लाली बनने का बहाना बना जा रहा हु मैं,
कितनी कसीस है इस चहरे में जैसे जन्नत की कोई हूर हो,
खुदा की रहमत देखे आज अकेले ज़माना बना जा रहा हु मैं !
नीशीत जोशी 04.08.12
किसने कहा महेफिल न होगी अब रोशन
उन यादो के सहारे ही जिया करते है,
रोते रोते भी हम मुश्कुराया करते है,
जागते कट जाती है वो विरह की राते,
बिस्तरमें ही करवट बदलाया करते है,
सांस जिनके नाम की रहती है चलती,
हरपल उस सांसका नाम लिया करते है,
अनजान राह के एक राहबर बने थे वोह,
वोह परछाई बन साथ निभाया करते है,
किसने कहा महेफिल न होगी अब रोशन,
हम उस चराग को रोज़ जलाया करते है !
नीशीत जोशी 03.08.12
અભાવ થી બદલાતા સ્વભાવ
અભાવ થી બદલાતા સ્વભાવ જોયા,
પોતાઓના પારકા તણા ભાવ જોયા,
ૠણાના બંધન આમ તો તુટતા નથી,
માં બાપના પણ ઉંધા પ્રસ્તાવ જોયા,
રાજ રમત તો કરવા લાગે સૌ અહિં,
ભાઇ ને ભાઇ સંગ કરતા દાવ જોયા,
ખરા સમયે કામ આવે તે મિત્ર સાચો,
મિત્રોના પણ વેરી સમા દેખાવ જોયા,
દાટ વાળે છે સબંધોનો ફક્ત અભાવ,
અભાવના થયેલા કેટલા પ્રભાવ જોયા.
નીશીત જોશી 01.08.12
न जाने कितना गहेरा होगा
समंदर का दिल न जाने कितना गहेरा होगा,
नदी को आगोश में लेने न कभी ठहेरा होगा,
मचलती थनाकती नदी पहोचे प्रियतम पास,
न जाने कौनसे कंटक का कितना पहेरा होगा,
मिलन के वास्ते कितनी भागती है वो नदीया,
न जाने हवा का वो जोश कितना लहेरा होगा,
खुद का मीठापन भूलके बन जाए वो नमकीन,
न जाने उस समंदर का कैसा हसीं चहेरा होगा,
उस सागरके इश्क में जरुर ऐसी कसीस होगी,
जरुर नदी के वो प्रियतम के माथे सहेरा होगा !
नीशीत जोशी 30.07.12
वोह न आये
वोह आते थे रोज़ पर आज न आये,
आने के उनके कोई आगाज़ न आये,
रोशनी जला के सजाली वो महेफिल,
दिल-इ-चरागको बूजाने बाज़ न आये,
कहके गए थे वोह क़यामतको मिलेंगे,
ये बातके मायीने कोई अंदाज न आये,
बांटनी चाहि हमने रोज़ उनसे खुशिया,
मगर प्यारकी तर्रनुमके साज न आये,
ख्वाईश थी कुछ देर के साथ की हमें,
जोलीमें तो अंधे ख्वाबोके राज़ न आये,
मत कर इतनी ज्यादा रुसवाई मुजसे,
कहेगे रुक्सत पे सब आये वोह न आये !
नीशीत जोशी 29.07.12
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