શનિવાર, 1 સપ્ટેમ્બર, 2012
मैं तुजे क्या कहू
तुजे सूरज कहू या चाँद कहू, तू ही बता मै तुजे क्या कहू,
अगन है सूरज में,
ठंडक है वो चाँद में,
लगे डर आग से, ठण्ड से लगे शीत,
अब तू ही बता में तुजे क्या कहू,
तुजे हवा कहू या दिया कहू, तू ही बता मैं तुजे क्या कहू,
हवा लहेराती चली जायेगी,
बाटी भी कभी बुज जायेगी,
जाने से होगे उदास,बुजना लगे खराब,
अब तू ही बता मैं तुजे क्या कहू,
ना बता तू,
चल,
मैं ही कह देता हु,
तू मेरा हमसाया,हमराज,तू ही मेरा हमसफ़र,
तू मेरा महेबुब, तू ही तो मेरा रहमतगर,
तू ही मेरा प्यार, तेरे साथ रहू जीवनभर !!!!!!
नीशीत जोशी 26.08.12
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