શનિવાર, 29 ઑગસ્ટ, 2015
रक्षाबंधन
महज धागा न समझो,बहन का प्यार है,
रक्षा करने भाई का, खामोश इजहार है,
बाँध के राखी भाई को,बहन खुशहाल है,
तरक्की के आशीर्वाद,भाई का उपहार है,
कलाई पे बांधना राखी,भाई का गुमान है,
दिया तौफा भाई का बहन को स्विकार है,
रिश्ता है,स्वाद भी खट्टा कभी मीठा होगा,
रक्षाबंधन भाई बहन के प्यार का तौहार है,
चली जाए बहन गर, सात समंदर पार भी,
यह पावन पर्व बहन को याद रहेता हरबार है !!
नीशीत जोशी 29.08.15
પ્રેમ થઇ ગયો
નજર થી નજર મળતા પ્રેમ થઇ ગયો,
હવે તો કહો આ અંધકાર કેમ થઇ ગયો,
અજવાળું થતા તો દેખાતું હોય છે બધું,
પછી કેમ આ આંધળાની જેમ થઇ ગયો,
વિચારેલું ચંદ્રની ઠંડક સમો હશે આ પ્રેમ,
આતો સૂરજનો હોય તાપ એમ થઇ ગયો,
પહેલા થતું હતું સઘળું વ્યવસ્થિત સમયે,
હવે સુવાનો સમય પણ જેમતેમ થઇ ગયો,
વાવ્યું છે એવું તો હવે તેવું લણવું જ પડશે,
ફળ સારું આપનારો જુઓ આ પ્રેમ થઇ ગયો.
નીશીત જોશી 27.08.15
अपनी जिंदगी निसार दी
रवायत निभाते निभाते, मैने जिन्दगी गुजार दी,
हमारी रुखसत पे, तूने अपनी तस्वीर उतार दी,
कब कहा था हमने, के याद आती नहीं तुम्हारी,
न जाने फिर क्यों तूने, हमारी कहानी बिसार दी,
उतार नही सकते थे, फलक के चाँद सितारो को,
हमने चिराग जला के, अपनी झोंपडी सवार दी,
पता न था, उस अंजाम-ए-मुहब्बत का हमे कभी,
करके वफ़ा का जिक्र, तूने जिंदगी को ग़ुबार दी,
हमने रुखसार को तेरे,एहमियत न दी थी कभी,
दिलसे की मुहब्बत और अपनी जिंदगी निसार दी !!
नीशीत जोशी
(ग़ुबार=cloud of dust, निसार= sacrifice) 25.08..15
લે જીવી જા મારી તુ જીંદગી
નામ તમારૂ લઇને જગતે છેતર્યો હતો,
જેમ ઉંદરની અંદરથી મને કોતર્યો હતો,
રોજ બતાવી મોટા મોટા સપનાઓ મને,
જેમ બાળક ફોસલાવે એમ ભોળવ્યો હતો,
એમ કહેલુ આંસુ આવવા દે'શું નહી આંખે,
સામટો આંસુઓનો દરિયો મોકલ્યો હતો,
કોઇ તરસ બુઝાવી નહી શકે મારા દિલની,
એક બીચારો ગણી સૌએ મને ફેરવ્યો હતો,
એમ કહેલુ કે લે જીવી જા મારી તુ જીંદગી,
દેખાવ કરી મિથ્યા,ખોટા પથે દોરવ્યો હતો.
નીશીત જોશી 22.08.15
શનિવાર, 22 ઑગસ્ટ, 2015
आईना मगरूर हो गया
देखके आपको, आईना मगरूर हो गया,
चाँद भी, मुँह छुपाने को मजबूर हो गया,
रात वो आये थे ख्वाब में, बनके क़ासिद,
रुखसे पर्दा हटा, और वो मशहूर हो गया,
हो रहा था, महोबत का जिक्र चारसू ,
हर किस्सा आप ही, मजकूर हो गया,
प्यार पा के आपका, हो गये सब अज़ीज़,
देखके दिल-ए-रक़ीब भी मखमूर हो गया,
बेपर्दा देखके आपको, घायल हो गये सभी,
दीदार पाते ही, हर कोई मशकूर हो गया !!
नीशीत जोशी
(क़ासिद = खबर पहोचानेवाला,चारसू= चारो तरफ, मज़कूर = reported,मखमूर =नशे में चूर , मशकूर= आभारी) 20.08.15
કેવાકેવા અનુભવો થાય છે
જુઓ તો ખરા,કેવાકેવા અનુભવો થાય છે,
અચંબો પમાડે એવા જ પ્રસંગો સર્જાય છે,
જોઈ સ્ત્રી,આંખો એની થાય છે ચકળવકળ,
મંચેથી, બ્રહ્મચર્યના ભાષણો પીરસાય છે,
કરે અંધારે, શાસ્ત્રવિરોધી કામ છુપાઈને,
આખરે તેમના પાપ,છાપે ચઢી વંચાય છે,
ધર્મની બીક બતાવી,ધીકતો ધંધો કરે છે,
રાજકારણથી,ત્યાં ક્યાં પાછળ રહેવાય છે,
સાવધાન રહો, આવા દંભીઓ થી તમેં,
ભોપાળું બ્હાર આવતા, ક્યાં વાર થાય છે.
નીશીત જોશી 18.08.15
किधर है ?
दिल में है प्यार बेहिसाब, मगर उसमें महक किधर है ?
दिखता है क़व्स-ए-क़ूज़ा फलक में, पर उफ़क़ किधर है ?
तड़पाना, तड़पना, रोना, मनाना महज सिर्फ दिखावा है,
मुहब्बत की कोई तपिश, प्यार की वह कसक किधर है ?
मिल जाते थे अक्सर बुलाने पे, दौड़ के आ भी जाते थे,
सिद्दत से बैठे है इंतज़ार में, पर आज वह ज़लक किधर है ?
मिल जाते है अर्श-ओ-फर्श, कहीं उस पार उफ़क़ के मगर,
उसे खोजने की अगन, और ऐसी आग की दहक किधर है ?
न जानते हुए भी, मुसाफिर कहते मिलेंगे के सब जानते है,
टिके है झूठ पे, मगर झूठ बोल के मिलता सबक किधर है ?
नीशीत जोशी
15 th August
जय हो ,जय हो यह भारत की आज़ादी,
कितनो की शहादत से हमें मिली आज़ादी,
नमन उन वीरो को,नमन उन शहीदो को,
जिनके देशप्रेम से हमे मिल के रही आज़ादी !!
आज़ादी के पर्व को मनाया है मनाते रहेंगे,
क्या हम इस को ही आज स्वतंत्रता कहेंगे,
भूखे पेट देश में आज भी लोग सो जाते है,
ताउम्र क्या गरीब ही यहाँ अमीरो को सहेंगे !!
निकलता है इंसान रोजीरोटी कमाने को,
पता नहीं सठीक पहुंच पायेगा ठिकाने को,
आतंकवाद,बलात्कार,भ्रष्टाचार है बेपाहाँ,
क्या इस को कहेंगे आज़ादी जमाने को !!
बेटीओ को माँ की कोख में मारा जाता है,
पढ़ाई नहीं अन्य कामो में डाला जाता है,
सुविधा नहीं सौचालय की विद्यामंदिर में,
क्या इस को ही आज़ादी जाना जाता है !!
जिसे रक्षक कहो वही भक्षक बना बैठा है,
जिसे चुना नेता वह नाग तक्षक बना बैठा है,
कुर्शी के वास्ते एक दूसरे को पछाड़ते रहे है,
और देश की आज़ादी का रक्षक बना बैठा है !!
लालबत्ती पर बच्चे मिल जाएंगे तिरंगा बेचते,
दूसरे ही दिन मिलेगा तिरंगा बच्चो से खेलते,
क्या यही सन्मान है देश के तिरंगे का कहिये,
कितने दिन हम रहेंगे यही सब खामोश जेलते !!
कदर करो वीर जवानो की देश के मरम की,
कदर करो इस महान देश की हर धरम की,
सही मायनो में तभी होगी हमारी आज़ादी,
जिस दिन समझ आएगी अपने करम की !!
यह देश महान था महान है और महान रहेगा,
हमारा भारत देश रहेगा जब तक जहान रहेगा,
दिल का दर्द लिखा है लिखते रहेंगे हम भी यहाँ,
आज़ादी के पर्व का हरदम हम पे परवान रहेगा !!
नीशीत जोशी 15.08.15
पाकिस्तान के सभी भाईओ को स्वतंत्रता दिन कि शुभ कामना
पाकिस्तान के सभी भाईओ को स्वतंत्रता दिन कि शुभ कामना !!
कभी तो हम साथ साथ थे,
आज भी हम दिल से साथ है,
पर सियासतदान क्यो सुने,
हथकंडे है कुर्सी बचाने के,
खींची है दरमियाँ दिवार भी,
रोक न पायेंगे प्यार करने से,
आतंकी आग दोनो तरफ है,
फिर दोष क्यो एकदुसरे पे,
हम है एक ही मिट्टी के,तो,
परहेज़ क्यो दोस्त कहने से !!
नीशीत जोशी 14.08.15
मेरा बेहाल और है
ग़म की क्या मिसाल और है,
जो ना ग़ुज़रा,कमाल और है,
दिखता है चेहरा हँसता हुआ,
मगर दिल का हालचाल और है,
मेरे अंदर तलातुम है बहुत,
पर जुबानी भी सवाल और है,
साथ छोड़े है साया मेरा,
रास्ता भी कितना मुहाल और है,
इश्क़ में अंदाज़ तेरा देखकर,
सोचता हूँ तेरी एक चाल और है,
पूछते हो हाल क्या मेरा, जनाब,
ग़म सुना दिल मेरा बेहाल और है,
मिल रहा है सब से यूं, मगर,
अंदर से वो बेख़याल और है !!
नीशीत जोशी 11.08.15
શનિવાર, 8 ઑગસ્ટ, 2015
होगा जमाने को असर इक दिन
चले है जब कदम होगा जमाने को असर इक दिन,
यकीनन खत्म होगा जिन्दगी का सफर इक दिन,
बहारों के दिवाने प्यार बांटते हो चमन में शायद,
बगीचे का नजारा सामने होगा नजर इक दिन,
कभी दास्ताँ ग़मो की तो कभी होगी खुशी की,
उसी में ये रहेगी जिन्दगानी वो बसर इक दिन,
न आने का इरादा हो न कोई ख्वाहिशें दिल में,
सिर्फ हो मोहब्बतका वो मजा कोई मगर इक दिन
शहर खामोश होगा देख घावों को दफ्अतन,
तभी वो प्यार की लपटें उठेगी जो उधर इक दिन !!
नीशीत जोशी 08.08.15
હવા તું ધીમી થા
હવા તું ધીમી થા, બંધ બારણું થઇ જાય છે,
વગોવાય છે તું, ઘરોમાં અંધારૂ થઇ જાય છે,
લહેરાય છે આપનો પાલવ જોને હવામાં એમ,
કે સયાણું પતંગયુ પણ, બીચારૂ થઇ જાય છે,
લટોને હટાવો નહીં,આ ચહેરા પરથી એમ તમે,
સમી સાંજ છે ત્યાં, અહીં અજવાળુ થઇ જાય છે,
હવામાં પહોળા કરી હાથ, માંગો ન આકાશ તમે,
નિહાળી તમોને, ઇન્દ્ર પણ ઈર્ષાળુ થઇ જાય છે,
હવામાં તમ ઉન્માદ છે અને વંટોળાય છે પ્રેમ,
દુશ્મનો પણ જોઈ જોઇને માયાળુ થઇ જાય છે.
નીશીત જોશી 06.08.15
जान ले लेगी किसी दिन ये शरारत आपकी
जान ले लेगी किसी दिन ये शरारत आपकी ,
मयकदे पहुंचा न दे हमको ये आदत आपकी |
हाथ में पत्थर तुम्हारे , कांच का मेरा बदन ,
अब करूँ भी तो करूँ किससे शिकायत आपकी |
नाज़ुकी जो आपके हिस्से में आई क़ुदरतन,
मेरी जाँ लेकर रहेगी ये नज़ाकत आपकी |
हम सलामत हैं तो बस फ़ज़लो-करम से आपके ,
काम आती है हमारे बस इबादत आपकी |
बोझ ग़ैरों का उठा लेते हो अपने आप पर ,
याद रक्खेगा ज़माना ये शराफ़त आपकी |
नीशीत जोशी 03.08.15
यहाँ लोग, सिर्फ चहरे की, सबाहत जानते है
हम तेरी मुहब्बत की, सदाकत जानते है,
लड़ लोगे तुम जहाँ से, जसारत जानते है,
दिलवाले करते है बहुत, इश्क़ कायनात में,
पाएंगे वही, जो दुनिया की रक़ाबत जानते है,
यहां के लोग करेंगे, इश्क़ के चर्चे चारसु,
मुख्तार वही होंगे, जो बगावत जानते है,
रफ्ता रफ्ता ही, इश्क़ सर चढ़ के बोलेगा,
मुश्किल है उनको, जो सिर्फ तिजारत जानते है,
होनी चाहिए, दिल से मुहब्बत, दिल की,
यहाँ लोग, सिर्फ चहरे की, सबाहत जानते है,
रक़ीब भी बन जाते है, दोस्त मोहब्बत से,
हम परस्तार है, इश्क़ की इबादत जानते है !!
नीशीत जोशी
(सदाकत=सच्चाई, जसारत=हिम्मत, रक़ाबत=शत्रुता, चारसु=चारों तरफ़, मुख्तार=आज़ाद,
बगावत=विद्रोह, तिजारत=व्यापार, सबाहत=खूबसूरती, परस्तार=पूजनेवाला) 01.08.15
હંકારો હોડી તમે કિનારે કિનારે
હંકારો હોડી તમે કિનારે કિનારે,
મારે નથી મરવું જઇને મઝધારે,
સંગાથે રહેશો જીવી જઇશું અમે,
નહિતર ભટકશું આ કે પેલે દ્વારે,
થાક્યા નહી કે સમણાંમાં જગાડી,
આવો છો યાદ બની નવેલી સવારે,
જલાવો છો દિલ તમે બીજાને દઇને,
બળવું નથી વિરહની આગે અમારે,
રહેશો નહી આમ દુરી બનાવીને,
તાકીદ કરો તમે આવો છો ક્યારે.
નીશીત જોશી 31.07.15
વિરહ ની કદર થઇ જવા દો
दिल था कमजोर, टूट गया तो टूट गया
दिल था कमजोर, टूट गया तो टूट गया,
भीड थी बहुत, हाथ छूट गया तो छूट गया,
मिल गया मुझे सब कुछ, उसके मिलते ही,
मिला हुआ खजाना, लूट गया तो लूट गया,
सुननी अच्छी लगे दास्ताँ, इश्क की सबको,
हुजूम लोगो का यहाँ, जूट गया तो जूट गया,
लडखडाये जो पाँव, कसूर नहीं उस शाकी का,
हाथसे गीरा पयमाना, फूट गया तो फूट गया,
आसान नही होता, किसीसे मिलकर बिछडना,
रिश्ता साँसों से गर, छूट गया तो छूट गया !!
नीशीत जोशी 26.07.15
નહિ અળગા થવા દઈએ
દિલથી તમોને આમ, નહિ અળગા થવા દઈએ,
કે પ્રેમને મનથી, કદી નહિ વિસરવા દઈએ,
આખીય રાત્રી, આવશું શમણાં મહી તમારા,
એવા સતાવીએ, કે તમને નહિ સુવા દઈએ,
દિમાગ ને દિલપર, તમારું સ્મિત છે છવાયું,
અશ્રુ કદીએ, આપને નહિ સારવા દઈએ,
ક્યારેક મળવા આવશો, એંધાણ થાય એવા,
બેડી પહેરાવી કસમની, નહિ જવા દઈએ,
સંભારણા નાનપણના, જીવ્યા તણોસહારો,
છો થાય પીડા, ઝખ્મને નહિ રૂઝવા દઈએ.
નીશીત જોશી 23.07.15
किसने जगा दिया है मुझे मेरे ख़्वाब से
अल्फ़ाज़ उड़ गए सभी मेरी किताब से ,
किसने जगा दिया है मुझे मेरे ख़्वाब से !
बोला अभी नहीं था मिरे वो मुहिब्ब को,
किसने बता दिया मुहब्बत के हिसाब से !
आते है वो तसव्वुरी खयालो में अक्सर,
किसको कहें हम बचाये इश्क़ के ताब से !
पड़ते नहीं निशाँ कफ-ए-नाज़ुक के यहाँ,
रखते है क़दम है जो पाँव उनके गुलाब से !
शाहिद ने किया था शुरू राज़-ओ-नियाज़,
किसीके रश्क ने जगा दिया मुझे ख्वाब से !
नीशीत जोशी
(ताब=power, कफ-ए-नाज़ुक= foot of beloved, शाहिद= a sweetheart ,
राज़-ओ-नियाज़ = intimate conversation between the lover and beloved )20.07.15
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