ગુરુવાર, 6 ઑગસ્ટ, 2009
वोह न आये
वोह आते थे रोज पर आज न आये
दिदार तो नही उनके संदेश भी न आये
सजायी थी महेफिल उनके लीये पर न आये
दे कर गये थे दिल को आश पर न आये
कह कर तो गये थे कयामत को मीलेंगे
कयामत के मतलब मेरी समज में न आये
देनी तो चाही मैने रोज उन्हे खुशीया
मगर उन्हे वोह तौफे भी रास न आये
मैने तो मांगा था सिर्फ साथ उनका
जोली मे आज ख्वाब भी न आये
मत कर इतनी रुसवाइ मुजसे निशित
लोग कहेगे कब्र पे सब आये पर वोह न आये
'नीशीत जोशी'
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