आज वो हसते है मेरी दास्तां सुन कर
हम रोते है उनकी दिल्लगी देख कर
रहेनुमा बना दिया जब आपको हमारा
ठुकरा रहे हो अब हमारी मजबुरी देख कर
डाल कंधे पे हाथ चले थे एक ही राह पर
आज मुह फेर लेते हो निशित सामने देख कर
'नीशीत जोशी'
મંગળવાર, 11 ઑગસ્ટ, 2009
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