શુક્રવાર, 14 ઑગસ્ટ, 2009
स्वाधीनता क्या यही है बापु?
थी वोह देश के लीये लडायी बापु
आज है खुरशी के लीये लडायी बापु
था वह देश प्रेम लोगो में बेहद उस वक्त बापु
ढुंढने से एक नेताभी नही मीलेगा इस वक्त बापु
सरकार के विरोध में न बोल सकता था कोइ बापु
आज क्या विरोध में बोल सकता है कोइ बापु
जनता बेचारी पीसती थी उस वक्तभी देशमें बापु
दशा आज वही है पीसती है महेंगाइ के भेशमें बापु
तीरंगा की कदर थी आजादी के संग्राममें बापु
एक कपडा का टुकडा बना है फैशनके संग्राममें बापु
यही होगी स्वाधीनता न सोचा होगा कभी बापु
पराधीनता का स्वांग सजे आज स्वाधीनता है बापु
नीशीत जोशी
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