શનિવાર, 30 જાન્યુઆરી, 2010

तेरे इन्तजार में

जिन्दगी गुजर गयी तेरे इन्तजार में
खुले रखे थे द्वार तेरे इन्तजार में

शायद रास न आया हो हमारा पथ
अब एकबार आ जाना मेरी मजार में

फुल न भी रखो तो कोइ गम नही
ता-उम्र काटी तेरे लिये बागो बाहार में

नीशीत जोशी

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