जिन्दगी गुजर गयी तेरे इन्तजार में
खुले रखे थे द्वार तेरे इन्तजार में
शायद रास न आया हो हमारा पथ
अब एकबार आ जाना मेरी मजार में
फुल न भी रखो तो कोइ गम नही
ता-उम्र काटी तेरे लिये बागो बाहार में
नीशीत जोशी
શનિવાર, 30 જાન્યુઆરી, 2010
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