मैयत मे वोह रौनक कर गये,
दिया वादा, आये और पुरा कर गये,
फुलो से छिन के महक उसकी,
अपनी खुश्बु से खुशनुमा कर गये,
रोना न था उन्हे पर रो लिया उसने,
आंखो के मोतीओ से कफन गीला कर गये,
भले ही आये हो वोह जग-दिखावे के लिये,
नफरत से ही आये पर महोब्बत कर गये ।
नीशीत जोशी
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