શુક્રવાર, 22 જાન્યુઆરી, 2010

ए खुदा तु कहां है?


ए खुदा तु कहां है? पुछते है वोह

नही जानते जहां है वोह वहीं है वोह

सांस के बाद हर दुसरी सांसमें है वोह

बागो के बहार में फुलोकी खुश्बुमें है वोह

पतझडमें भी वोह बसंतमें भी है वोह

हर कण कण में बसा है वोह

मंदीर मस्जीद गुरुद्वारा चर्च में है वोह

जहा भी माथा टेका दिखा है वोह

'मै' जब तक है ना दिखेगा वोह

छोड दो 'मै'को उसीवक्त कहोगे यही है वोह


नीशीत जोशी

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