
क्या यह वही राह है जीसपर साथ कभी चले थे,
मुश्करते हुए राहदार बनकर साथ कभी चले थे,
गर "हां" तो कहां हो, गर "ना" तो कहां हो,
यादका बहाना लेकर कहो साथ कभी चले थे,
"हां" कह कर चहेरा मोड न लेना नफरत से,
वफासे शीकवाकर कह देना साथ कभी चले थे,
"ना" कह कर न मुश्करा उठना जुठे मन से,
वादियोसे जरा पुछना क्या साथ कभी चले थे?
चले थे यह तो हकीकत है इससे ना कतराओ,
चांद सीतारे भी गवाही देंगे साथ कभी चले थे ।
नीशीत जोशी 25.05.11