
प्यार कभी कमजोर नही होता,
उस पे किसीका जोर नही होता,
अकेलापन एक अहेसास बनता,
सन्नाटो में कोई शोर नही होता,
माना ये दर्द सहना आसान नही,
यह दर्द कभी बिल्लौर नही होता,
मोहब्बत करते नही,हो जाती है,
हो जाने का कोई दौर नही होता,
सांस रुके, बदन दफन करते है,
महोब्बत का कोइ गोर नही होता ।
नीशीत जोशी
बिल्लोर=transparent, दौर=period, गोर=grave
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