શનિવાર, 10 માર્ચ, 2012
शमा जली नीशी रात के लिये
वो नीशी को एक शमा ने दी आवाज....
और उजालो से भर गये हर परवाज.....
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क्या वो शमा जली नीशी रात के लिये,
महेफिल सजी थी वो मुलाकात के लिये,
सूबह जब जागे वो रात का पता न था,
पर शमा जलती रही किसी बातके लिये,
आयेगा वो बांहोमें भर ठंडी कर देगा लौ,
डुब जायेंगे बस उनकी कायनात के लिये,
मोहब्बत कि बिसात पे लगा रखे थे दाव,
हर दाव खेले सिर्फ अपनी मात के लिये,
कल का वायदा किया है शमा ने जलनेका,
नीशी भी आयेगा 'नीर' वो जज्बात के लिये ।
नीशीत जोशी 'नीर'
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