શનિવાર, 24 માર્ચ, 2012

प्यार में अक्सर


प्यार में अक्सर ईन्तजार करना पडता है,
जीन्दा रह के कतरा कतरा मरना पडता है,

लोगो की भीड में कहीं फिर खो न जाये वो,
हर नग्मे को उनके नाम से पढना पडता है,

प्यार के आसार में नींद आती नही रातभर,
सपनोको भी बाहर ईन्तजार सहना पडता है,

बेदर्द जमाना न जाने दर्द-ए-इश्क कि दास्तां,
छुपाके गम को सबके सामने हसना पडता है,

कोई तो बनाके रखता है प्यार में ताजमहल,
जहांवाले को वो तौफा संभाल रखना पडता है,

अपनो के मुश्कुराने से महक उठती है फिझा,
प्यार में आंखो को अश्को से सजना पडता है,

बहोत कठीन है डगर इस मोहब्बतके राह की,
इस राह पे चलनेवालो को 'नीर' जलना पडता है ।

नीशीत जोशी 'नीर' 20.03.12

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