રવિવાર, 25 માર્ચ, 2012

मुझे अच्छा नही लगता


तडप तडप कर ईन्तजार में रहना मुझे अच्छा नही लगता,
बार बार उन गमो को जाहीर करना मुझे अच्छा नही लगता,

दिल तो करता है ये जीन्दगी किसी कातील के हवाले कर दु,
उनकी जुदाई में रोज रोज का मरना मुझे अच्छा नही लगता,

एक ही बार में जला के खाक कर दो ना मुझे चिता पे सुलाके,
दिल में जल जल के फिर से जलना मुझे अच्छा नही लगता,

वोह गर दे दे हाथो से एक कतरा भी तो समंन्दर सा मान लेगें,
दूसरो के हाथो अमृत प्याला भी भरना मुझे अच्छा नही लगता,

वो रात कि नींद भी खफा हो गयी है मेरी हालत देख कर, गोया,
जाग जाग के रोज 'नीर' सपनो को पढना मुझे अच्छा नही लगता ।

नीशीत जोशी 'नीर' 25.03.12

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