ગુરુવાર, 8 માર્ચ, 2012

MUKTAK

बेबसी बयां कर के क्यों सता रहे हो ?

ईजहार-ए-मोहब्बत क्या जता रहे हो ?

गुजर दी इन्तजार में हज्र कि रात भी,

अब खयालो में 'नीर' क्या बता रहे हो ?

नीशीत जोशी 'नीर'

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