શનિવાર, 24 માર્ચ, 2012

सपनो में


आज उनसे एक मुलाकात हो गयी,
सपनो में उनके पुरी रात खो गयी,

चैन की नीदसे सोये हुए थे हम तो,
मेरे सपनेको दिदार देके सजो गयी,

रातभर करते रहे मोहब्बत की बाते,
सर रख कर मेरे कंधे पे वो सो गयी,

खलेल न पडे नींद में धडकन सुनके,
खुदबखुद धडकती सांसे धीमी हो गयी,

एक बचा था दिल खुदका कहने जैसा,
जताके प्यार सपनोमे 'नीर'को भीगो गयी ।

नीशीत जोशी 'नीर' 19.03.12

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