રવિવાર, 5 મે, 2013
आँखों से बहते अश्क के पीछे छुपा क्यों है ?
आँखों से बहते अश्क के पीछे छुपा क्यों है ?
ये तो दिल है फिर प्यार वास्ते रुका क्यों है ?
परिंदे बैठ जाते है सब्ज़ दरख्त की शाख पर,
प्यार की दहलीज़ पे चहेरा तेरा सूखा क्यों है ?
मुहब्बत करना खुदकिस्मती है हर इन्सान की,
अपने हाथ की लकीरे देखकर तू रूठा क्यों है ?
प्यार में हर हरकत बनती है दास्ताँ मुहब्बत की,
जिक्र होता है ये भी,आसमाँ प्यार में झुका क्यों है ?
इतने कच्चे आशियाने में तो बसर करता नहीं दिल,
पत्थर किसी ने फेंके नहीं फिर आईना टूटा क्यों है ?
नीशीत जोशी 21.01.13
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