अजब मुक्कदर के खेल है,
लड़ते हुए कहते हे, मेल है,
मुहोब्बत की,निकाह किया,
अब कहते हे, शादी जेल है,
हर दौड़ शायद अव्वल लाये,
जिन्दगी की दौड़ में फ़ैल है,
संसार किया, सोचते पहले,
कितना तो ढिबरी में तेल है,
तलाक तक पहोचाते है बात,
जाने हर चीज एक खेल है |
नीशीत जोशी 26.04.13
રવિવાર, 5 મે, 2013
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