
कुदरत के कैसे कैसे करिश्मे देखे,
मौजूद होते भी गुमशुदा बन्दे देखे,
एक छोटी चोट भी क्या रंग लायी,
क़फ़स में अर्श छुनेवाले परिंदे देखे,
रूह ऐसे तो निकलती नहीं बाबस्ता,
मोत के सामने लड़ते फरिस्ते देखे,
जिस्म में हर अंग की है अहेमियत,
हर पुर्जे की वजूदगी के फायदे देखे,
उल्फत का काम तो है आना-जाना,
खुश रहके हर लम्हा आजमाते देखे.
नीशीत जोशी 12.05.13
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