રવિવાર, 26 મે, 2013
बर्षो हो गए
रुकी पड़ी सब बात को बर्षो हो गए,
वो अधूरी मुलाक़ात को बर्षो हो गए,
ना रहे कोई अल्फाज,बने हम गूंगे,
वोही तन्हा हालात को बर्षो हो गए,
तस्सवूरमें आना मुनासिब न समजे,
रुसवा हुए जज्बात को बर्षो हो गए,
भुलाना आसान होता तो भूल जाते,
उठते उन सवालात को बर्षो हो गए,
नाशाद होने के पहले मुहोब्बत तो थी,
प्यार की वो बरसात को बर्षो हो गए |
नीशीत जोशी 21.05.13
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