
अदायगी में वोह, किसीसे कम नहीं है,
लोग समजते है हर बात, इल्म नहीं है,
लाख छुपा रखे दिल में अपने राझ को,
मुहोब्बत को छुपाये उतना दम नहीं है,
आती है खुश्बू प्यार की उनके बदन से,
पर कहते है उस गलियारेके हम नहीं है,
दफ़न किया रखा है दर्द जिगर में अपने,
दिखावा करते है जैसे कोई गम नहीं है,
बखूबी जानते है झख्म छुपाने की अदा,
आयना बता देगा,क्या आँखे नम नहीं है?
नीशीत जोशी 14.05.13
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