રવિવાર, 20 મે, 2012
परेशां क्यूं है?
आज रुकसत पे ये जां परेशां क्यूं है?
आज बेचारा नादां दिल ऐसा क्यूं है?
बात नीकली थी उनकी घर आनेकी,
राहो में फुलो को पूरा पसर जानेकी,
रुक गये है पांव,मंझरे हादसा क्यूं है ?
आज रुकसत पे ये जां परेशां क्यूं है?
उनके आने से होती महेफिल रोशन,
जां भी संभलती, होती तकदीर रोशन,
फिर चिराग बुजने का अंदेशा क्यूं है ?
आज रुकसत पे ये जां परेशां क्यूं है?
बेवफा कह के दामन छोड दिया,
सामने आते ही मूंह मोड लीया,
आज मोहब्बतकी ऐसी दास्तां क्यूं है ?
आज रुकसत पे ये जां परेशां क्यूं है?
नीशीत जोशी 14.05.12
આના પર સબ્સ્ક્રાઇબ કરો:
પોસ્ટ ટિપ્પણીઓ (Atom)
ટિપ્પણીઓ નથી:
ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો