રવિવાર, 27 મે, 2012
चले गये
किसने बात उडायी हम दफन हो गये ?
हम तो आज भी जीन्दा है दिल-ए-कूचा में उनके !!!!!!
******
रुकसत पे मेरी आंसू बहाके चले गये,
जज्बात अपने बखुबी सुनाके चले गये,
ता-उम्र हमसफर बनने की ख्वाईश थी,
हो गये है किसी और के बताके चले गये,
जी लेते उनकी खामोशीओ के साथ भी,
मोहब्बत को सरेआम जताके चले गये,
चूपचाप आये शहर-ए-खामोशा में जब,
कब्र पे रखके फूल हमे रुलाके चले गये,
मीला हो सुकून शायद कफन को चूमके,
सोयी हुयी इस लाश को जगाके चले गये ।
नीशीत जोशी 23.05.12
આના પર સબ્સ્ક્રાઇબ કરો:
પોસ્ટ ટિપ્પણીઓ (Atom)
ટિપ્પણીઓ નથી:
ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો