રવિવાર, 6 મે, 2012
आज तलक
दीया जो था उसने हाथो में अपना हाथ,
आज तलक हमने किसीसे वो हाथ मीलाया नही है,
पहने थे जो कपडे जब थे उनके साथ,
आज तलक हमने उन कपडो को धुलवाया नही है,
चीराग जलाया था सामने रह महेफिलमें,
आज तलक उस चीराग को हमने बुझाया नही है,
हर सांस में बसा रखी है खुश्बु उनकी,
आज तलक वो खुश्बु को जहन ने भुलाया नही है,
मीली थी नजरो से जो नजर सरेआम,
आज तलक उनकी शयसे नजरो को हटाया नही है,
यूं तो यहां चाहनेवालो की तादात बढ गयी,
मगर हमने किसी ओर को दिल में बसाया नही है,
तेरी चौखट पर गीरे थे एक दिदार वास्ते,
तूजे छोड ओर किसी के आगे सर जुकाया नही है,
अब,ओ सीतमगर ! सीतम छोड, कर रहम,
रहमतगार 'नीशीत'ने किसी ओर को बनाया नही है ।
नीशीत जोशी 04.05.12
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