રવિવાર, 16 ડિસેમ્બર, 2012
बताओ जरा
कोई आज इन्सान के अंदर इन्सान बताओ जरा,
गाँव में घर बहोत है कोई सही मकान बताओ जरा,
बुराई के ऊपर अच्छाई हावी होती है,कहते है लोग,
पर अच्छे दिलवालों में भी आज ईमान बताओ जरा,
नफ़रत की आग में जलाते रहते है आज के वो आका,
अगर हो कोई जहाँ में प्यार की खदान, बताओ जरा,
घर को सजा के रखते है बेस कीमती हसीं वस्तुओ से,
वस्तुओ में,खुदा की दी इज्जत के समान बताओ जरा,
टूट टूट कर जबरन जिन्दा रहना पड़ता है इस जमीं पर,
सुकून से जी सके कही भी ऐसा कोई स्थान बताओ जरा !
नीशीत जोशी 06.12.12
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