ગુરુવાર, 6 ડિસેમ્બર, 2012
शज़र के पत्ते सूखे सूखे से क्यों है ?
शज़र के पत्ते सूखे सूखे से क्यों है ?
परिन्दे आज डरे डरे से क्यों है ?
आसमान का भी है रंग बदला सा,
चमन के फूल जूके जूके से क्यों है ?
किसी अदीब से पूछ तो लो, वजह,
खामह के लब्ज रुके रुके से क्यों है ?
तंगदस्त है शाह-आलम भी आज,
ग़म-गुसार दिल से टूटे टूटे से क्यों है ?
मुहोब्बत में दिल टूटना हादसा नहीं,
फिर मुहिब्ब आज छुपे छुपे से क्यों है ?
नीशीत जोशी 01.12.12
अदीब = writer, खामह= pen, तंगदस्त=poor,penniless, ग़म-गुसार=intimate friend मुहिब्ब= lover
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