રવિવાર, 23 ડિસેમ્બર, 2012

मेरी फुरकत में

577925_268115359978046_1424363145_n मेरी फुरकत में, जब तड़पा करोगे, अकले बैठकर, तब रोया करोगे । आह निकलेगी, मेरी याद आने पे, नामावर के आने से तौबा करोगे । ख़ुशनुमा रात लौट के ना आयेगी, इन्तेज़ार में रात, बिताया करोगे । राह चलते भी, पिंदार मेरे ही होंगे, दीदार को मेरे, बेहद तरसा करोगे । बे- ख़ुदी में ख़ुद, गुनाहग़ार समझोगे , मेरे जनाजे का, ख्व़ाब देखा करोगे । नीशीत जोशी (फुरकत = separation, नामावर = postman, पिंदार = thought ) 17.12.12

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