રવિવાર, 16 ડિસેમ્બર, 2012

हो गयी

vintage-writing-paper-with-pen-on-wood-3fa684 जब से तू मेरी जाँ हो गयी, *कामिल हर इम्तिहाँ हो गयी, complete चमन के हर फूल खिल उठे, फूलो से मेरी पहेचाँ हो गयी, रकीब बन गए दोस्त अब तो, ये कायनात महेरबां हो गयी, लिखे कुछ आसार कागज़ पे, ग़ज़ल दिल की जूबाँ हो गयी, हर वक़्त देखू तेरा ही नज़ारा, हर मेरी हरकत नादाँ हो गयी ! नीशीत जोशी 08.12.12

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