ગુરુવાર, 6 ડિસેમ્બર, 2012
तस्सवूर में भी गर आ जाओ
तस्सवूर में भी गर आ जाओ ,इश्क की कीमत हो जाये,
तुम आ के गर जरा मुश्कुराओ,बुलन्द किस्मत हो जाये,
पूनम की चाँदनी रात हो, और हवा लहेराती हो मंद मंद ,
तुम ऐसे में होले होले आ जाओ,रूमानी नियत हो जाये,
कदम भी उठाना आहिस्ता आहिस्ता फूलो की राह पर,
सोये है वो कांटे, देखना कहीं उसकी न हिम्मत हो जाये,
उफान दिल का बढ़ता बढ़ता अब है सातवे आसमान पर,
इसी जमीं के तुम पेश आओ, जिन्दगी जिद्दत हो जाये,
सब सितारों का हुजूम उमड़ पड़ता है निशि रात को भी,
अब ऐसा ही कुछ फरमाओ, मुहोब्बत की इज्जत हो जाये !
नीशीत जोशी (जिद्दत = newness, originality) 25.11.12
આના પર સબ્સ્ક્રાઇબ કરો:
પોસ્ટ ટિપ્પણીઓ (Atom)
ટિપ્પણીઓ નથી:
ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો