રવિવાર, 1 સપ્ટેમ્બર, 2013

मेरी आँख से आंसू निकले

crawwturbulence महफिल से लगे जब उठने, मेरी आँख से आंसू निकले, जला चराग लगा था बुझने, मेरी आँख से आंसू निकले, जज्बा तो रखते थे, कांटो की बे-कस राह पर चलने का, मगर फूल ही लगे थे चुभने, मेरी आँखों से आंसू निकले, अनसुलझी गुत्थी, मुश्किल सवालात बन कर रह गयी, खामोशी लगी सवाल पूछने, मेरी आँख से आंसू निकले, बे-पायाँ बे-नूर वो वस्ल की रात, खामोशी और तन्हाई, चाँद भी चला गया था घूमने, मेरी आँख से आंसू निकले, मुहिब्ब के इन्तजार की हद में आँखे भी हुई दरमान्दा, वो दिलकस अहबाब को ढूँढने, मेरी आँख से आंसू निकले !!!! नीशीत जोशी (बे-कस= helpless,बे-पायाँ= limitless,बे-नूर = dark,दरमान्दा=tired) 24.08.13

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