શુક્રવાર, 13 સપ્ટેમ્બર, 2013
तस्वीर बनाता हूँ पर नहीं बनती
तस्वीर बनाता हूँ पर नहीं बनती,
ये सांस भी तेरे बगैर नहीं चलती,
तबस्सुम को देख तसल्ली करली,
सजाने हे ख्वाब, शाम नहीं ढलती,
दूरी को मिटा दिया हमने ब-खूबी,
करीब आकर भी बात नहीं करती,
खामोशी से सह गये दर्द-ए-झख्म,
जलाया बदन पूरा,रूह नहीं जलती,
माना मुहब्बत वास्ते इन्कार नहीं,
मुस्कुराती है पर हाँ भी नहीं भरती ||
नीशीत जोशी 08.09.13
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