
तेरे पाजेब की मधुर खनखन, तुझे जीने नहीं देगी,
धड्केगा दिल मगर, धड़कन तुझे जीने नहीं देगी,
महज लिख दिया था नाम मेरा समंदर की रेत पे,
पर लहर के आने की उलझन, तुझे जीने नहीं देगी,
यूँ ना बिखराके रखो जुल्फे अपनी इतनी बेरुखीसे,
लफ्ज़ खोलने वक्त की अड़चन, तुझे जीने नहीं देगी,
हर वो दास्ताँ-ए-इश्क में सुनती रहना नाम हमारा,
सुन के शर्मिन्दगी की शिकन तुझे जीने नहीं देगी,
मेरी रुख्सत पे तुझे रोना आये या ना आये लेकिन,
यक़ीनन तन्हाईयों की चुभन, तुझे जीने नहीं देगी ||
नीशीत जोशी 12.09.13
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