શનિવાર, 7 સપ્ટેમ્બર, 2013
ये भूल जाते है
आँखों ने कितने आंसू बहाए, ये भूल जाते है,
रातो ने कितने ख्वाब सवारे, ये भूल जाते है,
देने प्यार का तौफा लाये खुबसूरत कुछ फूल,
हाथो में कितने फूल मुरझाये, ये भूल जाते है,
अपना कहा और फिर पराया भी कर लिया,
रकीब बनके कितना सताये, ये भूल जाते है,
फूलो की राह कहके कांटे बिछाये हर पथ पर,
किस किस पथ पाँव उठाये, ये भूल जाते है,
बेचारे ये नादाँ दिल ने खाये है झख्म बहोत,
किस झख्म पे मरहम लगाये, ये भूल जाते है !
नीशीत जोशी 01.09.13
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