રવિવાર, 1 સપ્ટેમ્બર, 2013
बनाया है खुदा ने भी फुरसत से तुझे
रात के पास नहीं है अब कोई जवाब,
ख्वाब भी मांगता है रात की इमदाद,
चाँदनी रात में देख के तुझे छत पर,
चाँद भी हो जाता है रूठे के नाशाद,
मदहोश हो जाते है सभी बादह्कश,
जब पी लेते है तेरे नयनो की शराब,
तेरे ही दम से है रोशनी महफ़िल की,
तेरा नूरानी चहेरा जैसे हो आफताब,
बनाया है खुदा ने भी फुरसत से तुझे,
वो आयना भी दे रहा है यही सनाद |
नीशीत जोशी
(इमदाद=सहायता,नाशाद=अप्रसन्न,बादह्कश=पियक्कड़,सनाद=प्रमाणपत्र) 29.08.13
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