શનિવાર, 21 સપ્ટેમ્બર, 2013
हिंदी दिवस पर कोशिश
हिंदी दिवस पर कोशिश
अपनी भाषा बड़ी सुहानी है,
यही बात हमें बतानी है,
दास्ताँ कोई भी हो,
भाषा कोई भी हो,
बोलनेवालो की जुबाँ,
चाहे हो अलग,
पर एक ही कहानी है,
मीठी हो बोली,
कड़वी हो बोली,
भाषा बोलनेवालो के,
दिल में रूमानी है,
समज भी शायद,
न आये बोली,
पर सुनानेवालो को,
वही सुनानी है,
हिंदी हो या हो उर्दू,
दोनों बहन ही तो है,
दोनों बहनों की मुहब्बत,
सदियों पुरानी है ||
नीशीत जोशी 17.09.13
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