
किसने कह दिया आसमाँ गिरने वाला है,
कर के प्यार दिल तो अब संभलने वाला है,
मुहब्बत की राह पे निकल पड़े है कदम अब,
दोनों के दरमियाँ का पर्दा अब हटने वाला है,
राहत-ए-जान बनकर लगे है ख्वाब सजाने,
रातो का ग़मगीन अँधेरा अब कटने वाला है,
दिलकस नजारों से कह दो संभल कर रहे,
बनठन के मेरा महेबूब यहाँ आने वाला है,
महेफिल भी होगी रोशन-ए-ख़ास ऐसी यहाँ,
मानो आफताब अंजुमन से उतरने वाला है !!!!
नीशीत जोशी 25.09.13
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