રવિવાર, 6 માર્ચ, 2016

बस यूँ ही बैठे बैठे.........

बस यूँ ही बैठे बैठे......... लडखडाना भी जरूरी होता है, बडबडाना भी जरूरी होता है, रक्खे हो आइना अपने सामने, सवर जाना भी जरूरी होता है, पहन ली है पाजेब उसने पाँव में, खनखनाना भी जरूरी होता है, देखता नही परिंन्दे को कफस में, फडफडाना भी जरूरी होता है, लिखते हो 'नीर' दिल निकाल के, जुलस जाना भी जरूरी होता है ! नीशीत जोशी 'नीर 30.01.16

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