
ले कर हाथो में गुलाब जब तूने चूमा होगा,
हो कर मदहोश वो भी खुद को भूला होगा,
तेरे आते ही दिल में आग कहीं लगी होगी,
तेरे जाते ही फिर वहाँ पे सिर्फ धूआं होगा,
मची होगी फलक में भी हलचल बेहिसाब,
तेरे दिदार के बाद चाँद भी कहीं छूपा होगा,
ख्वाहिशें सब पुरी हो, मुमकिन तो नहीं,मगर,
अच्छा ही हुआ है तो फिर क्या बूरा होगा,
वस्ल की रात है, ज़ाहिर है होगी गुफ्तगू,
हिज्र के बाद तो जलता चिराग भी सूना होगा !
नीशीत जोशी 20.02.16
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