રવિવાર, 6 માર્ચ, 2016

तू ही है

मेरा जिगर मेरी जान तू ही है, मेरी सुबह मेरी शाम तू ही है, नही चाहीए तख्तो ताज़ मुझे, मेरी शोहरत मेरा नाम तू ही है, पीते है लोग मयखाने में बैठ के, मेरी मयकशी मेरा जाम तू ही है, रूठ जाओ तो मनाने पे मान जाना, मेरी आन बान और शान तू ही है, शरमाता है वो आइना भी अब तो, मेरा आफताब मेरा चाँद तू ही है ! नीशीत जोशी 26.12.15

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