
मेरा जिगर मेरी जान तू ही है,
मेरी सुबह मेरी शाम तू ही है,
नही चाहीए तख्तो ताज़ मुझे,
मेरी शोहरत मेरा नाम तू ही है,
पीते है लोग मयखाने में बैठ के,
मेरी मयकशी मेरा जाम तू ही है,
रूठ जाओ तो मनाने पे मान जाना,
मेरी आन बान और शान तू ही है,
शरमाता है वो आइना भी अब तो,
मेरा आफताब मेरा चाँद तू ही है !
नीशीत जोशी 26.12.15
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