રવિવાર, 6 માર્ચ, 2016

मेरे आँगन में

मुश्कुराते हुए तू आना, मेरे आँगन में, बना लेना तू आशियाना, मेरे आँगन में, मुरीद है तेरी खुश्बू के खिले फूल भी, चमन को तू महेकाना, मेरे आँगन में, मिलूँगा दहलिज पे खडे तेरे इंतजार में, इस्तकबाल तू करवाना, मेरे आँगन में, उतर आयेगा चाँद भी छोड के फलक, गझल तू अपनी सुनाना, मेरे आँगन में, तकलिफ देगी यादें, जाने के बाद तेरे, निशानी तुम छोड जाना, मेरे आँगन में ! नीशीत जोशी 27.02.16

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