ગુરુવાર, 31 મે, 2012
ए हवा,जरा गौर से देख ले
ए हवा, तु आहिस्ता चल, दुप्पटा सरक रहा है,
शर्मोशार यह चहेरा देख ले कैसा चमक रहा है,
तु पत्तो को उडा जाती, खुश्बु को भी फैला जाती,
तेरे आगमन से ये पूरा बाग कैसा महक रहा है,
तु छू के नीकल गयी गुलाबी गालो को शान से,
उन गालो से देख ले कैसा गुलाल टपक रहा है,
उन गेसूओ को जब लहेराया तूने भरी दूपहेरको,
मीला छावा, ये चहरे पर कैसा नूर जलक रहा है,
ए हवा, चूम के नीकल चली उन हॉठो को नजाकत से,
जरा गौर से देख ले रोम रोम कैसा बहक रहा है ।
नीशीत जोशी 31.05.12
सजना
यह कैसी तेरी रीत है सजना,
हर बाझी तेरी जीत है सजना,
तीरछी नजर से डालते हो डोरे,
यह भी अनोखी प्रीत है सजना,
सताने वास्ते बजाते हो बांसुरी,
हर तेरी फूंक बने गीत है सजना
पनघट आने से लगने लगे ठंड,
दिल की कैसी ये सीत है सजना,
बार बार ये दिल तुजको ही चाहे,
तुजसे ही खुश मेरा चीत है सजना ।
नीशीत जोशी 29.05.12
आखिर कब तलक
आज इस शाख से वो हवा को गुजरना होगा,
इन सुके पत्तो को वही रहके ही सवरना होगा,
कहा था उसने कोई ख्वाईश ना करना हमसे,
अपनी गुजारीश के संग आज बीखरना होगा,
दिये है जो झख्म अब गीने नही जाते हमसे,
आज इन घावो को भी यहां अब उभरना होगा,
आयना सामने रहते हुए भी शरमीन्दा है हम,
आज उस शक्स के लिये फिर नीखरना होगा,
आखिर कब तलक ठोकरो पे जीन्दा रहेंगे हम,
एक बार तो ईबादत के लिये भी मुकरना होगा ।
नीशीत जोशी 28.05.12
ये सूरज भी
वो रुसवाई का दर्द अब खलता है,
अश्क आंखो में भी अब जलता है,
कितने वफा-जफा के तूफां के बाद,
अपना कोई बहोत खास बनता है,
भेजा फरमान यादो में न आने का,
जज्बात कहां ऐसे काबू में रहता है,
मोहब्बत के आसार होते है ऐसे भी,
आशिक शोलो पे प्यार से चलता है,
चांद को चांदनी से मीलाने के वास्ते,
ये सूरज भी रोज शाम को ढलता है ।
नीशीत जोशी 27.05.12
રવિવાર, 27 મે, 2012
તુજનો પ્રેમ
પિયુ, તુજનો પ્રેમ મુજને સતાવે છે,
આ મહેદીં નો રંગ પ્રેમ બતાવે છે,
તુજ કાજ લાવી ફુલોની પાંખડીઓ,
હ્રદયની ઉર્મીઓ ધડકન નચાવે છે,
તુજના સમણાં સેવતી નિહાળુ પથ,
આ સમીર મુજને પંપાળી હસાવે છે,
ન ભાળતા તુજને નમ થાય આંખો,
તુજનો અહેસાસ રડવાથી બચાવે છે,
સોળે શ્રિંગાર કરી તૈયાર છું આજ તો,
આટ આટલો ઇન્તજાર શાને કરાવે છે,
માની જવાની શર્તે રિસાય પણ જઇશ,
વિના તુજ રીસાયેલાને કોણ મનાવે છે?
નીશીત જોશી 26.05.12
क्युं है?
कोइ इतना हमे सताता क्युं है?
ना कह कर भी चाहता क्युं है?
नही रख सकते जज्बात पे काबु,
बेफिझूल बाते को बताता क्युं है?
समंन्दर मीला तब नहाये नही,
अब चुल्लु भर के नहाता क्युं है?
वफा कर के भी बेवफा कहलाये,
तौफे में मीले आंसु बहाता क्युं है?
मोहब्बत की है तो जुदाइ भी होगी,
बार बार यह आलम जताता क्युं है?
नीशीत जोशी 25.05.12
ચાલ પાછા આજે ........
ચાલ પાછા આજે છુપાછુપી રમી લઇએ,
એકબીજા ને એકબીજા માં કળી લઇએ,
તું શોધ મુજને હું શોધુ તુજને આજ અહી,
ચાલ આજ પ્રેમ દરિયા માં તરી લઇએ,
ક્ષતિજે મળવા નીકળ્યા છે ધરા 'ને નભ,
ચાલ પહેલા આજ આપણે મળી લઇએ,
પ્રેમની કિતાબે આપણુ પણ હશે પ્રકરણ,
ચાલ ફરી આપણુ પ્રકરણ ભણી લઇએ,
પ્રેમમાં આવુ મળ્યાને વર્ષો ગયા છે વિતી,
ચાલ સમણાં ને ફરી વર્તમાન કરી લઇએ.
નીશીત જોશી 24.05.12
चले गये
किसने बात उडायी हम दफन हो गये ?
हम तो आज भी जीन्दा है दिल-ए-कूचा में उनके !!!!!!
******
रुकसत पे मेरी आंसू बहाके चले गये,
जज्बात अपने बखुबी सुनाके चले गये,
ता-उम्र हमसफर बनने की ख्वाईश थी,
हो गये है किसी और के बताके चले गये,
जी लेते उनकी खामोशीओ के साथ भी,
मोहब्बत को सरेआम जताके चले गये,
चूपचाप आये शहर-ए-खामोशा में जब,
कब्र पे रखके फूल हमे रुलाके चले गये,
मीला हो सुकून शायद कफन को चूमके,
सोयी हुयी इस लाश को जगाके चले गये ।
नीशीत जोशी 23.05.12
શોધુ છું
આ મહેંદી માં મુજ નામ શોધુ છું,
મુજને આપેલુ તે ઇનામ શોધુ છું,
રંગ તો ચડતો ચડી જશે આ હાથે,
તુજ હ્રદય માં બસ મુકામ શોધુ છું,
તરસ્યો રાખ્યો છે હજુ પણ જો ને,
બસ તુજ નયન નો જામ શોધુ છું,
શાને મુકુ?છો ને હોય રાહ પથરાળો,
તુજ પડછાયો ત્યાં સરેઆમ શોધુ છું,
નકામા થયાની મુજ ચર્ચાય વાતો,
તુજ સંગાથ પામવાનુ કામ શોધુ છું,
બદનામ કરે છે લોકો રખડુ કહી કહી,
તેઓ શું જાણે હું તુજનુ ગામ શોધુ છું.
નીશીત જોશી 22.05.12
चलो नयी जीन्दगी का आघाझ करते है,
पुरानी बिती हुयी को हम बाझ करते है,
चीलमन महकाके बनायें नया आशीयाना,
लो इसबार कोइ नया ही अंदाज करते है,
वादा करके भी जरुरत ना की कभी पुरी,
हर बात को तो वो नजर-अंदाज करते है,
मुद्दतो से साथ नीभाते रहे है उसका हम,
हम उसकी पुरी हर इह्तियाज करते है,
सीतम ढानेकी आदत पाल रखी है उसने,
चलो आज सीतमगर का इलाज करते है,
चलो ना,जलाते है उसके दिल में सिराज,
अंधेरोके डर से उजालो पे मिजाज करते है,
क्या कहें उसे जो औरत को समजे खीलौना?
उपरवाला भी कैसे पुरुष को सर्ताज करते है !!!
नीशीत जोशी 21.05.12
आघाझ=beginning,इह्तियाज=need,सिराज=lamp, candle 21.05.12
રવિવાર, 20 મે, 2012
कुछ देर बाद ही सही
अपना प्यार तो होना ही था कुछ देर बाद ही सही,
चांद को छत पे उतरना ही था कुछ देर बाद ही सही,
बिस्मील जबसे बनाया उसे हमने उम्र भर के लिये,
घरोंदा दिल में बनाना ही था कुछ देर बाद ही सही,
शहेरो की गलीयो में काना फूसी होने लगी अब तो,
जुबा पे मेरा अफसाना ही था कुछ देर बाद ही सही,
कोठे पे आना,बालोको सवारना,तीरछी नजरे डालना,
वो दिल का समजाना ही था कुछ देर बाद ही सही,
बातो ही बातो में रूठना फिर मनाने पे मान जाना,
कुछ ओर नही सताना ही था कुछ देर बाद ही सही ।
नीशीत जोशी 20.05.12
MUKTAK
મહેંદી નો આજ રંગ ચડ્યો,
હાથો થી અંગ અંગ ચડ્યો,
પિયુ નો સાથ એવો મળ્યો,
જાણે મુજ પ્રેમ જંગ ચડ્યો.....
નીશીત જોશી 19.05.12
विचार आया
अकेले बैठे तो यह विचार आया,
उस विचार में तेरा दिदार आया,
तबीब बन आये ईलाज के वास्ते,
जब विचार में दिल बीमार आया,
जन्नत की परीओ को जब सोचा,
तब विचार में तेरा श्रींगार आया,
बजाना चाहा तेरा तरुन्नुम कोई,
हाथो में तेरे नामका सीतार आया,
देने का सोचा कोई तौफा प्यार में,
विचार में सबसे बडा मीनार आया ।
नीशीत जोशी 18.05.12
ખોટી સમજત ગોપીઓને
ગર તુજને ચોરીની આદત ન હોત,
તો વૃજ માં મોહન બગાવત ન હોત,
માખણ ઘેરઘેરથી ચોરાવ્યા ન હોત,
રોજ રોજની તુજ શીકાયત ન હોત,
માખણની માટલી જો ફોડી ન હોત,
ઘેરઘેર આ ચર્ચા જ ચાલી ન હોત,
મજા તો કેમ મળત તુજને મોહન?
શરાફત જો ગોપીઓમા ન હોત,
પકડી તુજને કરી લેત કૈદ અને,
નંદના દરબાર માં રજુ કર્યા હોત,
કલમ ચાર સૌ સત્તાવનની લાગત,
સૌગંધથી તુજ જમાનત થઇ જ ન હોત,
ચીર હરવા,લુટી લેવા,આ કર્મો છે, કોને દોષ આપવા,
ખોટી સમજત ગોપીઓને જો તુજમા આવી શરારત ન હોત.
નીશીત જોશી 16.05.12
अभी अभी हम नहाये हुए है
ना अब नीकलेंगे आंसु, अभी हम आंखो में खोये हुए है,
ना जगा पाओगे अब तुम, अभी हम कब्र में सोये हुए है,
पास बैठने की इल्तजा जो करते, जो हमसे मूह फेर लेते,
आज वही सब पास आ के बहोत ही नजदीक आये हुए है,
हर बात पे मुझ पे हसके, जो रुलाते थे मुझे हरदम यहां,
आज वही सब हसने को छोड के, मुज पर ही रोये हुए है,
ना दिया था कभी जरुरत पे कंधा, ठुकराया था मेरा हाथ,
आज वही सब आ आके मेरे जनाजे को कंधा दिये हुए है,
अब ना छेड पाओगे मुझे तुम जमाने भर के सताये हुए है,
ना डालो बदन पर यूं मीट्टी अभी अभी हम नहाये हुए है ।
नीशीत जोशी
परेशां क्यूं है?
आज रुकसत पे ये जां परेशां क्यूं है?
आज बेचारा नादां दिल ऐसा क्यूं है?
बात नीकली थी उनकी घर आनेकी,
राहो में फुलो को पूरा पसर जानेकी,
रुक गये है पांव,मंझरे हादसा क्यूं है ?
आज रुकसत पे ये जां परेशां क्यूं है?
उनके आने से होती महेफिल रोशन,
जां भी संभलती, होती तकदीर रोशन,
फिर चिराग बुजने का अंदेशा क्यूं है ?
आज रुकसत पे ये जां परेशां क्यूं है?
बेवफा कह के दामन छोड दिया,
सामने आते ही मूंह मोड लीया,
आज मोहब्बतकी ऐसी दास्तां क्यूं है ?
आज रुकसत पे ये जां परेशां क्यूं है?
नीशीत जोशी 14.05.12
करते हो
सीयासतमें ऐसी जंग करते हो !
खुन के अलायदा रंग करते हो !!
चोरो की हिदायत में आजकल !
बेकसूरो के ही चूर अंग करते हो !!
देश के गरीबो के खून की कमाई !
विदेश भेज कानून भंग करते हो !!
भ्रष्टाचार हटाओ का नारा दे कर !
खुद लोगो को बेहद तंग करते हो !!
आतंक के बादशाह को दे के सय !
आतंकवाद आवाम संग करते हो !!
ईश्वर को भी ना छोडते हो जहांमें !
करिश्मे से उसे भी दंग करते हो !!
ना बचा पाएगा कोई भी करमो से !
फल वास्ते खुदको पतंग करते हो !!
नीशीत जोशी 13.05.12
રવિવાર, 13 મે, 2012
मुजे कोई रहमत का ईशारा मील गया होता,
बीन पतवार नाव को किनारा मील गया होता,
ना थी कोई मन्जील, ना पहेचान आसमां की,
मील जाता रास्ता गर सहारा मील गया होता,
उचाई पे उडते रहते परिन्दो को ले करके साथ,
जन्नत की परीओ का नजारा मील गया होता,
चांद भी अगर मसरुफ होता चांदनी के साथमें,
हमे कोई ना कोई तो सीतारा मील गया होता,
दुश्मनो में रह कर दोस्ती दिखाते हम सबको,
उन्ही में से साझ-गार हमारा मील गया होता ।
नीशीत जोशी 12.05.12
की है
हंगामा क्यों करते हो इबादत ही तो की है,
जगडे मीटाने वास्ते सीयासत ही तो की है,
भरम पाला था खुद के आला होने का यहां,
सामने आयना रख हिफाजत ही तो की है,
अन्जान शहर की गलीयो में भटकता रहा,
एक जलक पाने की मशक्कत ही तो की है,
वादो पे बस ऐतबार रख कर मुन्तजीर बना,
सामने आये हुए कि खिदमत ही तो की है,
कांटो पे लैटाने की ख्वाईश पूरी करते करते,
हसीन सब फूलो से भी बगावत ही तो की है ।
नीशीत जोशी 11.05.12
શરમાય છે
વેણુ ના સાદે દોડી આવી 'ને હવે શરમાય છે,
ગોપીઓના વાદે મુજ રાધા મુજથી ભરમાય છે,
કેમ કરી લેવી ખુશ્બુ માથે લગાડેલા ગજરાની,
ઘુંઘટ હટાવ્યે ખોબામા લાલ ચહેરો સમાય છે,
ચીત ચોર નો ખીતાબ આપી કર્યો છે મશહુર,
ગોપી નદીના તટે મુજ કાજે આવી કરમાય છે,
કદંબના ઝાડ નીચે એ મોરલો ખીલવે છે કળા,
વૃદાંવનની એ શેરીઓ પ્રેમ પામવા લલચાય છે,
ગાલો પર તો પાડ્યા છે સેયડા એવા તે શરમના,
તુજ રોમ રોમ માં મુજ તસ્વીર જ તો વરતાય છે.
નીશીત જોશી 10.05.12
बात नीकली
बात नीकली होगी तब जीक्र मेरा आया होगा,
मै नही भाया तो क्या ओर कोई भाया होगा,
मंद रोशनी में गुनगुनाते थे कुछ अकेले मगर,
परदे के पीछे कोई ओर नही तेरा साया होगा,
इश्क की रंगरेलियो में कइ रंग चडते है यारो,
कोई खास रंग जरुर तेरे जहन में छाया होगा,
कत्ल सिर्फ खंजर से नही आंखो से भी होता है,
लगता है ऐसा ही कोई हुन्नर तुने पाया होगा,
सीतमगर हो,सीतम करने की फितरत है तेरी,
झख्म गीनते थके हम,अब ओर ने खाया होगा ।
नीशीत जोशी 09.05.12
Mothers day
ન કોઇ આશાએ, ન અપેક્ષાએ,
જણ્યુ ત્યારે થયુ કષ્ટ,
ઉછેર કર્યો ત્યારે કષ્ટ,
બોલતા શીખવ્યો,
ચાલતા શીખવ્યો,
એક ઉંહકાર
થતા થયુ કષ્ટ,
ભણાવ્યો, ગણાવ્યો,
આજે થયો છે મોટો,
અને આજે તેને જ
થયુ છે કષ્ટ,
છાયો આપેલો તે છીનવા તત્પર,
બોલવામાં પાબંધી,
પગે બેડીઓ બાંધવા તત્પર,
જે ઋણે બંધાયેલો છે,
કેમ કરી ઉતારશે ? બોલી,
ઘર થી બેઘર કરવા તત્પર,
સહન કરૂ છુ બધુ,
હવે શું તે આજે ભુલ્યો?
હું એક માં છું !!!!
નીશીત જોશી 08.05.12 Mothers day
विचार
विचारो में कई बार हम अटक गये है,
किनारो के करीब आ के भटक गये है,
बिसात बीछा रखी है खेलने के वास्ते,
हारने के डर से खेल से छटक गये है,
नाच की ख्वाईश रखी पर आता नही,
आंगन टेढा कह कर भी मटक गये है,
धुप दिखाते है उसको सिर्फ दिखावे के,
जो तस्वीर बन दिवालो पे लटक गये है,
सामना ऐसा भी होता है विचारो का यहां,
उचाई पे चढ कर कभी नीचे पटक गये है ।
नीशीत जोशी 07.05.12
वोह कह गये थे
अश्को की छांव में मुद्दत से गुजर रही है जीन्दगी,
जब से वोह कह गये थे लौट आउंगा एक दिन....
अब उनके नाम हमने कर दी है पुरी यह जीन्दगी,
एक बार कहा था तुम्हे अपना बनाउंगा एक दिन....
ईन्तजार में खडे है उसी राह पर जहां छोड गये थे,
कहा था उसने इसी पथ पर ले जाउंगा एक दिन.....
आंखे बंध करने का उसने मसवरा दिया था कभी,
कहा था अपनी नजरो से जहां दिखाउंगा एक दिन....
लब्ज खामोश है मगर दिल उसी का नाम रटे,
कह कर गये थे दिल से जुबा खुलवाउंगा एक दिन.....
नीशीत जोशी 06.05.12
રવિવાર, 6 મે, 2012
लगता है
कोइ पास रहते हुए भी दुर लगता है,
कभी बेसुरा नग्मा भी सुर लगता है,
हमने गुजारी ताउम्र तेरी ही बाहों मे,
अब हर चहेरेमें तेरा ही नूर लगता है,
तुम सामने रहो या तो रहो परदे में,
तेरा साया भी चश्म-ए-बद्दुर लगता है,
तेरी खुदाइ को किस कद्र मै बया करु,
हर पथ्थर भी यहां कोहीनूर लगता है,
हुश्न भी बनाया तारीफ-ए-काबील यहां,
जहां जीसे भी देखता हूं, हूर लगता है ।
नीशीत जोशी 05.05.12
आज तलक
दीया जो था उसने हाथो में अपना हाथ,
आज तलक हमने किसीसे वो हाथ मीलाया नही है,
पहने थे जो कपडे जब थे उनके साथ,
आज तलक हमने उन कपडो को धुलवाया नही है,
चीराग जलाया था सामने रह महेफिलमें,
आज तलक उस चीराग को हमने बुझाया नही है,
हर सांस में बसा रखी है खुश्बु उनकी,
आज तलक वो खुश्बु को जहन ने भुलाया नही है,
मीली थी नजरो से जो नजर सरेआम,
आज तलक उनकी शयसे नजरो को हटाया नही है,
यूं तो यहां चाहनेवालो की तादात बढ गयी,
मगर हमने किसी ओर को दिल में बसाया नही है,
तेरी चौखट पर गीरे थे एक दिदार वास्ते,
तूजे छोड ओर किसी के आगे सर जुकाया नही है,
अब,ओ सीतमगर ! सीतम छोड, कर रहम,
रहमतगार 'नीशीत'ने किसी ओर को बनाया नही है ।
नीशीत जोशी 04.05.12
होता है
उठा वो हर परदा तेरा खास होता है,
हर किरदार में तेरा अहेसास होता है,
हर चहेरा दिखता है बहोत खुश पर,
दरअसल वो अंदर से उदास होता है,
प्यारकी नूमाइश करनेवाले है बहोत,
नीस्वार्थ करनेवाला तेरे पास होता है,
परदे के पी्छे रहके नीर्देश करता है तू,
कथन पर चले तो जीवन रास होता है,
अगली सांस भी आये तेरी इजाजत से,
कण कण में प्रभु तेरा ही बास होता है ।
नीशीत जोशी 01.05.12
કહી દઇએ
અમે એક ઓસની બુંદને પણ વરસાદ કહી દઇએ,
થતા મૌન ના સંવાદ ને પણ કોઇ સાદ કહી દઇએ,
છો ને વ્યંગ કરી હસતા રહો મુજ પર ક્યારેક પણ,
અમે થતા આવા એ વ્યંગ ને પ્રતિસાદ કહી દઇએ,
અભણ રહ્યા એ પ્રેમ કેરા આનંદના આ ભણતરમાં,
ઉમેરવાનુ કહેતા કહેતા એને અમે બાદ કહી દઇએ,
આમ તો મળે છે અપાર પ્રેમ લોકોની પાસ ગયેથી,
અરીસો સામે જોતા તેને અમે અપવાદ કહી દઇએ,
નાત-જાત,હદ-સરહદ,ઉંચ-નીચ ની પાર છે પ્રેમ,
ન આવડતી પ્રેમભાષાનો પણ અનુવાદ કહી દઇએ.
નીશીત જોશી 29.04.12
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