રવિવાર, 23 ડિસેમ્બર, 2012
वक़्त वही है, हालात बदल गये लगते है
वक़्त वही है, हालात बदल गये लगते है,
दस्तूर-ए-मुलाक़ात, बदल गये लगते है,
रंज न कर, अपनी तन्हाई से, ए दोस्त,
जवाब वही, सवालात बदल गये लगते है,
मुहोब्बत आज भी बरकरार है जैसी थी,
दिल है वही, जज्बात बदल गये लगते है,
मयकदे जाते जरूर है पर पिते नहीं शराब,
पाँव वही है पर,सबात बदल गये लगते है,
हैरत से आना छोड़ रखा है,सपनों ने यहाँ,
वो रात है वही,जज्बात बदल गए लगते है !!!!
नीशीत जोशी (सबात = stability) 21.12.12
प्यार के वास्ते
प्यार के वास्ते, उनके करीब आते रहे है,
गम-ए-जिन्दगी का असर, बताते रहे है,
ना कर बद-गुमानी, अपनी नजाकत की,
हम तो उन फूलो से भी, चोट खाते रहे है,
फरिस्ते भी माँगते है, दुआ उनके नबी से,
जमीं पर उतारने, चाँद को मनाते रहे है,
फितरत को बदल लो अपनी, सितमगर,
सितम भी, अब दर्द की ग़ज़ल गाते रहे है,
नहीं रखी है, कोई हसरत अब जिन्दगी में,
उनकी ख्वाइश को, अपनी बनाते रहे है !!!!
नीशीत जोशी 20.12.12
મધુર સબંધો એમ કંઈ બંધાતા નથી
મધુર સબંધો એમ કંઈ બંધાતા નથી,
લાગણીઓના સુર કંઈ ગવાતા નથી,
લઇ ને ભલે દોડે બોજો એ હૃદય નો,
મળેલા ઝખમ કોઈને અપાતા નથી,
સહન કરવું પડે છે હસતા મોઢે બધું,
નફરતે સબંધોને કંઈ નખાતા નથી,
પારકાને પોતાના કરવા નથી સરળ,
કાળજે એમજ પથ્થર પથરાતા નથી,
નમતા રહેવું પડે છે સૌ પાસે પ્રેમ થી,
પ્રેમે બાંધેલા સબંધ એમ હણાતા નથી.
નીશીત જોશી 18.12.12
मेरी फुरकत में
मेरी फुरकत में, जब तड़पा करोगे,
अकले बैठकर, तब रोया करोगे ।
आह निकलेगी, मेरी याद आने पे,
नामावर के आने से तौबा करोगे ।
ख़ुशनुमा रात लौट के ना आयेगी,
इन्तेज़ार में रात, बिताया करोगे ।
राह चलते भी, पिंदार मेरे ही होंगे,
दीदार को मेरे, बेहद तरसा करोगे ।
बे- ख़ुदी में ख़ुद, गुनाहग़ार समझोगे ,
मेरे जनाजे का, ख्व़ाब देखा करोगे ।
नीशीत जोशी (फुरकत = separation, नामावर = postman, पिंदार = thought ) 17.12.12
રવિવાર, 16 ડિસેમ્બર, 2012
આ શરાબ પણ કંઈક આજ જૂની લાગે છે
આ હવા માં આજે કોઈ તાજગી લાગે છે,
આ શરાબ પણ કંઈક આજ જૂની લાગે છે,
સુરાલય માં જવાવાળા ખબરદાર રહેજો,
પ્રિયેના હાથમાંનો પ્યાલો પાણી લાગે છે,
હોશમાં રે'વાની કોશિશ આજ થશે નિષ્ફળ,
મયની નદી આજ મહેફીલે વહેતી લાગે છે,
સમીર પણ આજ મદ-મસ્ત થઇ ગયો હશે,
એકલવાયાઓ ને પણ અહી મેદની લાગે છે,
સપના પણ આજ ઉઘી નહિ શકે સરખા રાત્રે,
અર્ધ ખુલ્લી આંખો પણ આજ જાગતી લાગે છે.
નીશીત જોશી 16.12.12
वोह एक चिड़िया है
वोह एक चिड़िया है
रोज खिड़की पे झांकती है
पर
कहाँ से लाऊ
कोई दाना
जो
वोह खा सके
ना भी गर दूँ
उड़ के
चली जायेगी
ना कुछ बोलेगी
ना इतरायेगी
शायद
यह भी
अपनी
जिन्दगी जैसी है ...
नीशीत जोशी 15.12.12
नहीं करते तबीब, नाईलाज दर्द की दवा
जहाँ में यह रूह, मुहब्बत तो करती है,
मगर, चाहनेवालो के पीछे भटकती है,
लगा कर दिल,एक रोग किया हासिल,
फिर मुश्कुराने को, दिनरात तरसती है,
वो कतरा भी लगता है समंदर के जैसा,
आंसुओ को सैलाब कहकर मचलती है,
हर एक परछाई, अपने मासूक की लगे,
हर कोई आहट पर, यह रूह तड़पती है,
नहीं करते तबीब, नाईलाज दर्द की दवा,
दर्द- ए-दिल में दुआ ही साथ चलती है !
नीशीत जोशी 14.12.12
साकी तेरी आँखों में डूबना चाहता हूँ
साकी तेरी आँखों में डूबना चाहता हूँ,
नशे में चूर हो कर बहकना चाहता हूँ,
पिलाये जाओ तूम जाम पे जाम साकी,
न पिने की वो कसम तोड़ना चाहता हूँ,
रकीब भी देख लेगा पिने का सलीका,
साकी,सभी से दोस्ती करना चाहता हूँ,
आँखों के जाम तू छलकाना छोड़ साकी,
मयखाना पि के खाली करना चाहता हूँ,
लड़खड़ा जो गया तो संभल लेना साकी,
तेरी बाहों में असर छोड़ना चाहता हूँ !
नीशीत जोशी 12.12.12
उतर आये है बादल
उतर आये है बादल, आँखों में आब बनकर ,
बे-लगाम उमडेंगे - बरसेंगे वो, सैलाब बनकर ।
उभर के आती है, तसव्वुर में तस्वीर उसकी ,
सितम ढाह जाते हैं वो जज़्बात,ख्व़ाब बनकर ।
दिल को खरोंच खरोंचकर, पूछते थे जो सवाल ,
रूबरू आज खड़े है सब सवाल , जवाब बनकर ।
समंदर को मानो, किसी साहिल की तलाश है ,
लहर की शक्ल आये हैं अश्क़ , हिसाब बनकर ।
ग़र्दिश सिखा रही है, आसमानों के सितारों को ,
ज़मीं पे उतरे हैं अश्क़, दर्द के अज़ाब बनकर ।
- नीशीत जोशी 09.12.12
हो गयी
जब से तू मेरी जाँ हो गयी,
*कामिल हर इम्तिहाँ हो गयी, complete
चमन के हर फूल खिल उठे,
फूलो से मेरी पहेचाँ हो गयी,
रकीब बन गए दोस्त अब तो,
ये कायनात महेरबां हो गयी,
लिखे कुछ आसार कागज़ पे,
ग़ज़ल दिल की जूबाँ हो गयी,
हर वक़्त देखू तेरा ही नज़ारा,
हर मेरी हरकत नादाँ हो गयी !
नीशीत जोशी 08.12.12
बताओ जरा
कोई आज इन्सान के अंदर इन्सान बताओ जरा,
गाँव में घर बहोत है कोई सही मकान बताओ जरा,
बुराई के ऊपर अच्छाई हावी होती है,कहते है लोग,
पर अच्छे दिलवालों में भी आज ईमान बताओ जरा,
नफ़रत की आग में जलाते रहते है आज के वो आका,
अगर हो कोई जहाँ में प्यार की खदान, बताओ जरा,
घर को सजा के रखते है बेस कीमती हसीं वस्तुओ से,
वस्तुओ में,खुदा की दी इज्जत के समान बताओ जरा,
टूट टूट कर जबरन जिन्दा रहना पड़ता है इस जमीं पर,
सुकून से जी सके कही भी ऐसा कोई स्थान बताओ जरा !
नीशीत जोशी 06.12.12
ગુરુવાર, 6 ડિસેમ્બર, 2012
तेरी शादी पे निकला जनाज़ा देख ले
तेरी शादी पे निकला जनाज़ा देख ले,
पूरा किया मैंने अपना ये वादा देख ले,
तूने सजायी है महेंदी किसी के नाम की,
मेरे दिल को दिया ये तेरा ताना देख ले,
सलामत रखे खुदा तुम्हे हुन्नर के साथ,
वफ़ा के साथ कैसा है तेरा नाता देख ले,
न आये मेरे राहबर बनने को तुम कभी,
शहर-ए-खामोशा तक मेरा जाना देख ले,
जिद थी अंधेरो को रोशन करने की मेरी,
कब्र पे जुगनूओ पूरा करते है दावा देख ले !
नीशीत जोशी 04.12.12
કેવા તે પ્રશ્નો
કેવા કેવા તે પ્રશ્નો કાળજે થાય છે,
જવાબ શોધવા પણ ક્યાં જવાય છે,
પોતે લાવે છે કોઇની દિકરી જ્યારે,
વિદાય વેળા પોતાથી ક્યાં રડાય છે,
થાય છે એવો જ પ્રસંગ પોતાને ઘરે,
દીકરી સંગ ચોધાર આંસુ વહાવાય છે,
પત્ની લાવ્યા એ પણ કોઇની છે કન્યા,
દીકરી માટે જ આંસુ એ ક્યાંનો ન્યાય છે,
પત્ની ન હોત તો દિકરી પણ હોત ક્યાંથી,
સબંધોની આ પરોજણ કેવી તો વર્તાય છે.
નીશીત જોશી 02.12.12
शज़र के पत्ते सूखे सूखे से क्यों है ?
शज़र के पत्ते सूखे सूखे से क्यों है ?
परिन्दे आज डरे डरे से क्यों है ?
आसमान का भी है रंग बदला सा,
चमन के फूल जूके जूके से क्यों है ?
किसी अदीब से पूछ तो लो, वजह,
खामह के लब्ज रुके रुके से क्यों है ?
तंगदस्त है शाह-आलम भी आज,
ग़म-गुसार दिल से टूटे टूटे से क्यों है ?
मुहोब्बत में दिल टूटना हादसा नहीं,
फिर मुहिब्ब आज छुपे छुपे से क्यों है ?
नीशीत जोशी 01.12.12
अदीब = writer, खामह= pen, तंगदस्त=poor,penniless, ग़म-गुसार=intimate friend मुहिब्ब= lover
ख्वाब को आंसू
हसीं ख्वाब को आंसू, दिखाया न करो,
ता' बीर प्यार की , यूँ जताया न करो,
नादिर तौफा मिला है कुदरत से तुम्हे,
गिले शिकवे से दिल दुखाया न करो,
चाँद भी खिल उठता है, चाँदनी देखके,
अंधेरो के जिक्र से, पल गंवाया न करो,
राहबर माना है, तो हर राह साथ चलना,
शानों पे जो रक्खें, सर को हटाया न करो,
सात समन्दर पार, चले जाए तो क्या?
यादो को सरहदी लकीर, जताया न करो !
नीशीत जोशी
ता' बीर= interpretation of a dream, meaning, attribute
नादिर = rare, precious, wonderful
शानों = shoulder 30.11.12
मेरी जब रुखसत होगी
इस जहाँ से मेरी जब रुखसत होगी,
दावा है हसने में तुजे मशक्क़त होगी,
आती रहेगी याद साथ बिताये पल की,
तेरे दर्द में कुछ और भी बरकत होगी,
घेरे रहेंगे अपने लोग तुजे तेरे ही घरमें,
मारेंगे ताना, तुजसे जब फुरक़त होगी,
पहोचोगे पी के अश्क जब कब्र पे मेरी,
दफनायी हुई लाश में भी हरकत होगी,
देखेंगे लोग रुखसत के बाद का मिलन,
दिलो में अपने प्यार की अजमत होगी !
नीशीत जोशी 29.11.12
નથી ફેક્યા
ક્યારે લોકોએ વાતોના પથરા નથી ફેક્યા?
એ પત્રોને એમ જ અમે બળવા નથી ફેક્યા,
મુલાકાત નો એ સમય લાગે છે વીતી ગયો,
અમે તેના વિચારો પણ અળગા નથી ફેક્યા,
એ લઇ ગયેલા દરિયે પોતાનું ચિત્ર આંકવા,
મઝધારે થી અમને કઈ તરવા નથી ફેક્યા,
કાન ની કચાસે જ કર્યું હશે તેનું કામ ક્યારેક,
શબ્દોએ મૌન બાણ ફક્ત ધરવા નથી ફેક્યા,
નામ તો થયું અમારું, બદનામ એ થઇ ગયા,
મદિરાલયની બા'ર સુનામ કરવા નથી ફેક્યા.
નીશીત જોશી 26.11.12
तस्सवूर में भी गर आ जाओ
तस्सवूर में भी गर आ जाओ ,इश्क की कीमत हो जाये,
तुम आ के गर जरा मुश्कुराओ,बुलन्द किस्मत हो जाये,
पूनम की चाँदनी रात हो, और हवा लहेराती हो मंद मंद ,
तुम ऐसे में होले होले आ जाओ,रूमानी नियत हो जाये,
कदम भी उठाना आहिस्ता आहिस्ता फूलो की राह पर,
सोये है वो कांटे, देखना कहीं उसकी न हिम्मत हो जाये,
उफान दिल का बढ़ता बढ़ता अब है सातवे आसमान पर,
इसी जमीं के तुम पेश आओ, जिन्दगी जिद्दत हो जाये,
सब सितारों का हुजूम उमड़ पड़ता है निशि रात को भी,
अब ऐसा ही कुछ फरमाओ, मुहोब्बत की इज्जत हो जाये !
नीशीत जोशी (जिद्दत = newness, originality) 25.11.12
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