રવિવાર, 27 માર્ચ, 2016
प्यार में अक्सर इंतजार करना होगा
प्यार में अक्सर इंतजार करना होगा,
जिंदा रहने को कतरो में मरना होगा,
खो न जाए कहीं वो दुनिया की भीड में,
हर नग्मे को नामे इश्क़ पढना होगा,
नींद आती नहीं है मुहब्बत में रातभर,
ख्वाबो को भी इंतजार सहना होगा,
जानता नहीं जमाना दर्द का फसाना,
छुपा के ग़म को सामने हंसना होगा,
प्यार में कोई बनवायेगा ताज़महल,
जहाँ को तौफा संभाले रखना होगा,
सिर्फ मुस्कुराने से महक उठे फिज़ा,
उदासी में आबेचश्म से सजना होगा,
बहुत कठिन राह है मुहब्बत की 'नीर',
राहे इश्क़ में चलते ही जलना होगा !
नीशीत जोशी 'नीर' 26.03.16
Happy Holi
जोगीरा स...र..र....र....र...
जोगीरा स...र...र....र....र...
उंची उंची दिवारें, छोटे सब के काम,
लोग नहीं घरों में,बसते है सिर्फ नाम,
जोगीरा स...र..र...र....र...
हौड लगी है दौड की,तू पैसे पीछे दौड,
बोलने दे जो बोले,तू अच्छे बुरे की छोड,
जोगीरा स...र..र....र....र...
बनना है जो नेता तुम्हे,करो देश बदनाम,
मीडीया,पेेपर,दौडेंगे पीछे,फिर पाओ अंजाम,
जोगीरा स...र..र....र....र...
लडका लडका सब कहे,लडकी मांगे न कोई,
उपरवाला जो दे लडकी, बहु ने जिंदगी खोई,
जोगीरा स...र..र....र....र...
राग, द्वेष, ईर्ष्या को ले के, करो दहन इस होली में,
भरभर बाँटों प्यार मुहब्बत, भरो खुद की झोली में,
जोगीरा स...र..र....र....र...
नीशीत जोशी 22.03.16
सुना होगा
कुछ हमने सुना तो कुछ तुमने सुना होगा,
महफिल में चला जिक्र सबने सुना होगा,
कुछ दिल ने कही होगी रुसवाई अपनी,
जिसका टूटा था दिल उसने सुना होगा,
चुप रहना शायद अच्छा ही होता हमारा,
निकले होंगे अश्क, दर्द जिसने सुना होगा,
दर्द उभरे होंगे नासूर झख्मो से बेहिसाब,
कह देना रोना उसका,किसने सुना होगा,
रोते हुए भी, दिल ने मुस्कुराने को कहा,
तडपना उसका सिर्फ हमने सुना होगा !!
नीशीत जोशी 17.03.16
कब्रको ही आखरी ठिकाना बनाते है
जी लिया बहुत,मौत को बुलाते है,
वो डराये सबको हम उसे डराते है,
मेरा मुन्तजीर है शहर-ए-खामोशा,
चलो हम खुद की कब्र खुदवाते है,
मिट्टी का बदन मिट्टी में मिलेगा,
उस मिट्टी से बदन को नहलाते है,
आदमी आम हो या हो वो सिकंदर,
कब्रको ही आखरी ठिकाना बनाते है,
हकीकत से मूँह फेर के रोना क्यों,
हश्र होना है सबका ये समझाते है !
नीशीत जोशी 12.03.16
टकराने दे आँखों से आँखें'
आहिस्ता आहिस्ता दर्द कम हो जाएगा,
प्यार के मल्हम से, ज़ख्म नरम हो जाएगा,
भूलना चाह कर भी, भूल न पाओगे हमें,
आँखो के साथ लम्हा भी नम हो जाएगा,
आएगी जब याद, पी कर हो जाएगे मदहोश,
जाम हाथों में होगा,खून गरम हो जाएगा,
आग पानी में भी लगा सकते है, आजमा लेना,
जान ले लेगी मुहब्बत, ये भरम हो जाएगा,
हो गया होगा चाँद भी उदास, चाँदनी के बगैर,
साथ होगा मुहिब्ब, तो दूर ग़म हो जाएगा,
टकराने दे आँखों से आँखें', जाम की तरह,
पिघलेगा दिल और 'नीर' सनम हो जाएगा !
नीशीत जोशी 'नीर' 10.03.16
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिन पर कोशिश
कमजोर नहीं तू,
सहना तेरी कमजोरी है,
तुझ पे ढायेंगे सितम,
जब तक तू भोली है,
उठ खडी हो,
दिखा दे अपनी ताकत को,
कह दे,
कर सकती हूँ सब कुछ,
मेरे में भी मर्दानी है,
मर्दो ने ही,
बंदी रखा था,
कफस में औरत को,
अब उन सब बाते में
कुछ न आनीजानी है,
पाल रखा था,
गुरूर झुठा मर्दो ने,
अपने जहन में,
कहते थे,
औरत की जगह,
सिर्फ चार दिवारी है,
हौसलो से,
तुम भी पा सकती हो,
बुलंदी खुद की,
हर इल्म है तुझे में,
ताकत बस यही आजमानी है !!
नीशीत जोशी 08.03.16
बना लेता हूँ
मैं दोस्तों के दिलो में, अपना घर बना लेता हूँ,
मैं एक कतरा को भी, पूरा समंदर बना लेता हूँ,
हद्द से गुजरजाने का हुनर, आता नहीं है मुझे,
मैं अपने ही हाथो, अपना मुकद्दर बना लेता हूँ,
कमजोर नहीं मैं, मगर इतना हस्सास हूँ जरूर,
सर झुका के मिस्कीन को, पयम्बर बना लेता हूँ,,
नफ़्सपरस्त दुनिया में, अपनों के साथ लड़ने को,
मोहब्बत के नुमाइंदो का, मैं लश्कर बना लेता हूँ,,
कहने को जज्बात, खुदको सुख़नवर बना लेता हूँ,,
भटके को राह दिखाने, उनको यावर बना लेता हूँ, !
नीशीत जोशी 06.03.16
(हस्सास= sensitive, मिस्कीन= poor, नफ़्सपरस्त= selfish, यावर= friend)
રવિવાર, 6 માર્ચ, 2016
કર્યો, ગોકુળની ગલીઓમાં બબાલ અમે
તમાચા મારી, રાખ્યા લાલ ગાલ અમે,
લોકો સમજ્યા, રમ્યા છીએ ગુલાલ અમે,
પરચમ ફરકાવ્યો, નામ લઇ ચિતચોરનું,
નજરું ચાલી તીરછી, થૈ ગ્યા હલાલ અમે,
જાદુગર મળ્યો, નંદ નો લાલો તે એવો,
કરામત કરી તેણે, થઇ ગયા કમાલ અમે,
ખોવાય ગયા અમે, નથી રહી સુધબુધ,
ભુલી જવાબ, બની ગયા સવાલ અમે,
સાંભળી વાંસળી, દોડયાતા યમુના તટે,
કર્યો, ગોકુળની ગલીઓમાં બબાલ અમે.
નીશીત જોશી 01.03.16
मेरे आँगन में
मुश्कुराते हुए तू आना, मेरे आँगन में,
बना लेना तू आशियाना, मेरे आँगन में,
मुरीद है तेरी खुश्बू के खिले फूल भी,
चमन को तू महेकाना, मेरे आँगन में,
मिलूँगा दहलिज पे खडे तेरे इंतजार में,
इस्तकबाल तू करवाना, मेरे आँगन में,
उतर आयेगा चाँद भी छोड के फलक,
गझल तू अपनी सुनाना, मेरे आँगन में,
तकलिफ देगी यादें, जाने के बाद तेरे,
निशानी तुम छोड जाना, मेरे आँगन में !
नीशीत जोशी 27.02.16
बदल गये !
अल्फाज़ बदल गये, जज्बात बदल गये,
न जाने क्या हुआ के, खयालात बदल गये,
रक्खी थी उम्मीदें, टूटेगी खामोशी एकदिन,
नम आँखो से उठे, सवालात बदल गये,
दे कर हसीन लम्हा, बदल दी दुनिया तुमने,
हश्र हुआ है यह के, मेरे दिनरात बदल गये,
दिखा के रास्ता मुझे, छोड दिया था अकेले,
मिली न मंझिल कोई मगर, सिरात बदल गये,
खुश था मैं बहुत, तेरे शहर में आने से पहले,
पीठ पे खाये ज़ख्म,और हालात बदल गये !
नीशीत जोशी 24.02.16
ले कर हाथो में गुलाब जब तूने चूमा होगा
ले कर हाथो में गुलाब जब तूने चूमा होगा,
हो कर मदहोश वो भी खुद को भूला होगा,
तेरे आते ही दिल में आग कहीं लगी होगी,
तेरे जाते ही फिर वहाँ पे सिर्फ धूआं होगा,
मची होगी फलक में भी हलचल बेहिसाब,
तेरे दिदार के बाद चाँद भी कहीं छूपा होगा,
ख्वाहिशें सब पुरी हो, मुमकिन तो नहीं,मगर,
अच्छा ही हुआ है तो फिर क्या बूरा होगा,
वस्ल की रात है, ज़ाहिर है होगी गुफ्तगू,
हिज्र के बाद तो जलता चिराग भी सूना होगा !
नीशीत जोशी 20.02.16
સદા જે નમે, એમને નમવું પડે છે
સહેતા રહે એમને, ખમવુ પડે છે,
સદા જે નમે, એમને નમવું પડે છે,
કરી પ્રેમ, હારેલ બાજી જીતશે,
કે સાબીત તેને,ખુદને કરવુ પડે છે,
જરા સાદ બુલંદ, સ્ત્રી જો કરી લે,
પછી, આ જગતનેય ડરવું પડે છે,
કદી ક્યાંય, નફરત નથી જીતવાની,
નવુ, પ્રેમને રૂપ ધરવું પડે છે,
રડે કોઇ બાળક, અહીં દુધ સાટુ,
જો હકનુ મળે નહિ, તો રડવુ પડે છે,
નથી માવતર, એમને પૂછજો કે,
કિડાની જેમ, જીવવુ ને મરવુ પડે છે.
નીશીત જોશી 19.02.16
ये तन्हाई, उस पे तेरी रूसवाई
ये तन्हाई, उस पे तेरी रूसवाई, सितम ढाती है,
कभी कायनात भी, जिन्दगी में, कयामत लाती है,
क्यूँ कर हम, करीब कर के, भर लें तुझे बाँहों में,
पकडता हूँ हाथ जबभी, धडकन तेज़ हो जाती है,
उतर जाता है फितूर, मुहब्बत में आशिक का,
जब दिल के साथ साथ, रूह भी झख्म खाती है,
नम आँखें,बन के जुबाँ, ग़म को करती है बयाँ,
मुहिब्ब की बातें जबभी, महेफ़िल में याद आती है,
शज़र की हर शाख भी, लगती है झुमने अक्सर,
लहेराती हवा, मानो, कोई तेरी ही नज्म गाती है !
नीशीत जोशी 16.02.16
खाब बनके आ जाओ
कटती नही यह रात, अब खाब बनके आ जाओ,
झुमती हुई महफिल की, शाम बनके आ जाओ,
किसको कहें यह बात, अब जान पर जो आयी है,
नजरों को अल्फाज़ दे कर, बात बनके आ जाओ,
मुझको मुबारक हो, मेरी आँख का तूफानी दरिया,
तुम आँखो से फिर बहता, आब बनके आ जाओ,
शरमा नहीं, यह चाँद खुद छूप कर सो जायेगा,
तुम बेकरार ख्वाब सजे, रात बनके आ जाओ,
जलते हुए जुगनू, शहर रोशन करे भी तो क्या,
तुम रोशनी करता, एक चिराग बनके आ जाओ !
नीशीत जोशी 13.02.16
आज अपने वस्ल की है रात आखरी
आज अपने वस्ल की है रात आखरी,
और हमारी यह है मुलाकात आखरी,
तेरी बज्म से ये दिवाने की बिदाई है,
वह शमा परवाना की है बात आखरी
भूल पाना मुमकिन नही तेरे इश्क़ को,
आँखे करेंगी बयाँ ये जज्बात आखरी,
मत पूछ मुझे मिले जख्मो का हिसाब,
देने होंगे जवाब हो सवालात आखरी,
और कोई आ न पाएगा सपनो में मेरे,
तेरे ही अक्स का खयालात आखरी !
नीशीत जोशी 09.02.16
देखा है जब से महबूब को
देखा है जब से महबूब को, दिवाने हो गये,
मेरी हर बात के नायाब, अफसाने हो गये,
परदे में थे जब तलक, कोई हादसा न हुआ,
देख के चेहरा उनका, सभी परवाने हो गये,
प्यार की यादों में, डुबे है हम इस कदर,
के, मिले हुए न जाने, कितने जमाने हो गये,
आँखें चार हुई, और नजरों ने करी गुफ्तगू,
उसी पल से, हर लम्हें हमारे सुहाने हो गये,
ले कर हाथो में हाथ, घूमे थे सारा शहर,
रास्ते के कंकर भी, जाने पहचाने हो गयेे !
नीशीत जोशी 03.02.16
આવડે છે
મને પ્રેમના પ્રવાહમાં,સરતા જ આવડે છે,
મને રાધાના પ્રેમમાં,પડતા જ આવડે છે,
નથી જાણતો કોઇપણ,પ્રેમની પરિભાષા,
છતાં ફક્ત ને ફક્ત,પ્રેમ કરતા જ આવડે છે,
વાત જન્મો જન્મની હું જાણીને શું કરું?
બસ ઝિંદગી જિંદાદિલીથી જીવતા આવડે છે,
દરિયે છો ને આવે કોઇ તોફાન,હો ભયંકર,
બચાવીને એ કશ્તી,બચતા જ આવડે છે,
નથી રાખી,આદત પીવાની મયખાનામાં,
નયનોના જામ,ફક્ત પીતા જ આવડે છે.
નીશીત જોશી 01.02.16
बस यूँ ही बैठे बैठे.........
बस यूँ ही बैठे बैठे.........
लडखडाना भी जरूरी होता है,
बडबडाना भी जरूरी होता है,
रक्खे हो आइना अपने सामने,
सवर जाना भी जरूरी होता है,
पहन ली है पाजेब उसने पाँव में,
खनखनाना भी जरूरी होता है,
देखता नही परिंन्दे को कफस में,
फडफडाना भी जरूरी होता है,
लिखते हो 'नीर' दिल निकाल के,
जुलस जाना भी जरूरी होता है !
नीशीत जोशी 'नीर 30.01.16
हमसे आया न गया
हमसे आया न गया,तुमसे बुलाया न गया,
बात इतनी सी थी,प्यार जताया न गया,
कह के जुदाई का सबब,खामोश हो गये,
नम आँखों से मगर, दरिया बहाया न गया,
कहने को तुमने, अपना बना लिया था मुझे,
बेवफा होना मगर, लोगो को बताया न गया,
पीते रहता था मैं सुबह शाम, जीने के वास्ते,
नजरों से आखरी जाम भी,पिलाया न गया,
मुन्तजिर थी वो लाश, तेरे आने की आश में,
यही आश में मयैत पे, फूल चढाया न गया !
नीशीत जोशी 27.01.16
આતમ જીવશે, એ કોઇનો બળતો નથી
કેમ કે, તારા એ હોદ્દાની શરમ ભરતો નથી,
એટલે, એ આયનો જોવો, તને ગમતો નથી,
આવડ્યું નહિ બોલતા ખોટું કદી, એને હજી,
માનવીની આદતોને, ક્યાંય અનુસરતો નથી,
માત્ર વાતો, વાયદા, ચર્ચા, બધું પાણી કરે,
એક સાચો માનવી, જગમાં મને જડતો નથી,
એક ઈશારો થયો, ને નીકળી પડવું પડે,
એટલો હું સ્તરથી, હેઠો કદી પડતો નથી,
પંખુડી ખરશે, છતાં પણ ખૂશ્બૂ ખરતી નથી,
એ કરામત કુદરતી, એ માનવી કરતો નથી,
બારમાસી છે, કરીને જોઇલે તું પ્રેમને,
ઉત્પન્ન થાઉં હૃદયે, કોય દિ' મારતો નથી,
શૂન્ય ભળશે શૂન્ય, આ તન બળી જાશે છતાં,
'નીર', આતમ જીવશે, એ કોઇનો બળતો નથી.
નીશીત જોશી 'નીર' 24.01.16
रो पडे
लिखो कुछ ऐसा, कलम रो पडे,
तसव्वुर हो ऐसी, सनम रो पडे,
फ़लक में हो, चाँद तारे तो क्या,
सितारा टूटे ऐसे, कसम रो पडे,
बनाके स्याही खूँ की, बयाँ करूँ,
फिर ऐसा हो की, नज्म रो पडे,
खुमारे इश्क, छाया रहे मुझ पर,
इतराते आशिकों का, वहम रो पडे,
करता रहूँ इन्तजार, ताउम्र उनका,
मुन्तज़िर देख मुझे, हर करम रो पडे!
नीशीत जोशी 22.01.16
મને પણ કોઇ એક આકાશ મળી ગયું હોત
મને પણ કોઇ એક આકાશ મળી ગયું હોત,
ઉડી મન મારૂ જોજન દુર નીકળી ગયું હોત,
તમે સાંચવી રાખી છે આ એક લાશને જીવાડી,
પુતળુ માટીનું ક્યારનું માટીમાં ભળી ગયું હોત,
રહે છે મૌન છુપાવીને દર્દ અંતર માહી ઘણા,
ઉઘાડી હોત આંખો તો મન પુરૂ કળી ગયું હોત,
જીંદગી તુજ આગને ઠારી ઠારી જીવી જાત,
મનમેળ ન થાત તો મુજ દિલ બળી ગયું હોત,
મહેબૂબ,આશિક, કેટલા નામથી દિલને બોલાવું,
ઇશારો કર્યો હોત તો અંતર વળી ગયું હોત.
નીશીત જોશી 19.01.16
सजायी है सेज जो
ये जो ख्वाब तेरी निगाहों मे पलते है मेरे,
करने को पुरा वो अरमान मचलते है मेरे,
देख के तन्हा मुझे हमराही बन जाते हो,
फिर ख्वाहिशों के काफिले संग चलते है मेरे,
माना कि मंजिले है अपनी सब जुदा जुदा,मगर,
बीते लम्हें तसव्वुर में अक्सर रहते है मेरे,
खिले गुलाब के फूलो से सजायी है सेज जो,
खुुश्बू बनके वो रातो के पहर महकते है मेरे,
समंदर भी मुन्तज़िर हो मिलने को साहिल से,
वैसे दिल के अंदर से तलातुम उठते है मेरे !
नीशीत जोशी 14.01.16
भूल तुझसे हुई मुझे समझने में
भूल तुझसे हुई मुझे समझने में,
बिना मापे गहरायी में उतरने में,
हर शक्श की तासीर है मुख्तलिफ़ मगर,
इक पल नहीं लगता उसे बहकने में,
झख्म नही दिखते दिल पर लगे हुए,
नाही वक्त लगता है दर्द को पनपने में,
लो, बहारे आ गई सहरा में गुल खिले,
क्यों देर करे है गुलशन, तू महकने में,
एक दिलजले के हाथ, मशाल क्या आई,
वक्त ना लगा जरा, बस्तिया उजड़ने में !
नीशीत जोशी 10.01.16
मुसाफिर है,उनके शहर से हम चले जायेंगे
मुलाकात के नाम से, उसने मुहब्बत कर ली,
हमने, इश्क के नाम की, बस इबादत कर ली,
खयालों में खो कर हम, खुद से अजनबी हुए,
हमने, रातों की नींद से, रकाबत कर ली,
उन्ही के ओठों को, चूमने की ख्वाहिश जो रखी,
दिखा के जमाने को, उसने रवायत कर ली,
तमाशाई नही, जो हम कोई तमाशा करते रहे,
किरदार निभाने की, हमने शरारत कर ली,
मुसाफिर है,उनके शहर से हम चले जायेंगे,
इत्तिला दे, क्या उसने मिलने की जसारत कर ली?
नीशीत जोशी
(रकाबत-शत्रुता, जसारत-हिम्मत) 07.01.16
સાવ સાચી વાત છે
સગા સૌ નામના છે, સાવ સાચી વાત છે,
બધાએ સ્વાર્થના છે, સાવ સાચી વાત છે,
જવાની આવતા, રાજા બનેલાને કહો,
નકામી ધારણા છે, સાવ સાચી વાત છે,
કરે જે વેર બુદ્ધિથી, ઘમંડી જાણજો,
એ કોડી દામના છે, સાવ સાચી વાત છે,
વિચારો હોય મૌલિક, લખો દિલથી કવન,
શબદ સાધના છે, સાવ સાચી વાત છે,
છુપાવી કેમ શકશો,આંખ ચાડી ખાય જ્યાં,
નરી આ ભાવના છે, સાવ સાચી વાત છે.
નીશીત જોશી 05.01.16
बाँध सब्र का आज टूटने वाला है
बाँध सब्र का आज टूटने वाला है,
कोइ अपना मुझसे छूटने वाला है,
शाम वस्ल की हसीं हो जाती मेरी
चाँद खुद फलक को चूमने वाला है
वो मुलाकातें और बहेतर हो जाती
ख़ामोशी का आलम डूबने वाला है
परिंदें भी कफ़स तोड के उड जायेंगे,
पंख फैला अपने वो झूमने वाला है
तुम पिलाते रहना आँखो से जाम
ये रिंद यकीनन अं लूटने वाला है
जिस शहर के लोग नफ्स परस्त हो
प्यार का दरिया वहीं सूखने वाला है
राह ए मुहबत पर "नीर" चले भी कैसे ?
हिज्र ए गम का कांटा चूभने वाला है
नीशीत जोशी 'नीर' 02.01.16
तू ही है
मेरा जिगर मेरी जान तू ही है,
मेरी सुबह मेरी शाम तू ही है,
नही चाहीए तख्तो ताज़ मुझे,
मेरी शोहरत मेरा नाम तू ही है,
पीते है लोग मयखाने में बैठ के,
मेरी मयकशी मेरा जाम तू ही है,
रूठ जाओ तो मनाने पे मान जाना,
मेरी आन बान और शान तू ही है,
शरमाता है वो आइना भी अब तो,
मेरा आफताब मेरा चाँद तू ही है !
नीशीत जोशी 26.12.15
चला जाता है
एहसान मुझे जता के चला जाता है,
आशिके इश्क़ बना के चला जाता है,
अजब की फितरत है मेरे वो चांद की,
इक ही झलक दिखा के चला जाता है
कयामत तक साथ निभाने का वादा,
इतमीनान से बता के चला जाता है,
मुहब्बत में जब होता है हादसा,फिर,
वो दर्द सहना सिखा के चला जाता है,
अकेली यह रात भी करे तो करे क्या,
वह ख्वाब भी जगा के चला जाता है,
चलता रहा है 'नीर' तूफानों में अक्सर,
मगर तन्हा सफर डरा के चला जाता है !
नीशीत जोशी 'नीर' 23.12.15
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