સોમવાર, 11 મે, 2009

भुलते हम नही और याद उसे हम आते नही
लेकीन करीश्मा- ए- कुदरत देखो
उदास होत है वोह और आंसु हमारे रुकते नही

नीशीत जोशी

1 ટિપ્પણી:

  1. અજ્ઞાત12 મે, 2009 07:58 AM

    उदास होत है वोह और आंसु हमारे रुकते नही
    good one
    short & nice....

    જવાબ આપોકાઢી નાખો