શુક્રવાર, 10 જૂન, 2011

नही मीलती


गमगीन जीनेवालो को शोहरत नही मीलती,
राह चलते चलते युंह महोब्बत नही मीलती,
लाख तुफानोमें घीरा हो साहील मजधारमें,
बुलंद हौसलेवालो को सीकस्त नही मीलती,
सिकंदर बनना तो चाह्ते है सब लोग यहां,
हर किसीको दुनीयाकी सियासत नही मीलती,
तहजीब सीखके बहेतरीन बने नामके ईन्सान,
ढुंढनेसे भी दिलके कोनेमें शराफत नही मीलती,


महेफिल-ए-नबीमे रोज रोनक होती है जीन्दगी,
चीराग बुजने पे भी उनकी शिकायत नही मीलती,
शीकार जो होते है उनकी तिरछी नयन कटारसे,
घायलको दर्दे-दवा करनेकी ईजाजत नही मीलती,
प्यार कर लिया,दिल दे दिया एक ही नबी को,
अब तो दुसरोका नाम लेने की फुरसत नही मीलती,
पागल दिवाना बनके बस गये जो नबी के दिलमें,
दरबार-ए-वैकुठ से परंहसोको रुकसत नही मीलती ।
नीशीत जोशी 07.06.11

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