ગુરુવાર, 16 જૂન, 2011
हो गया
आयना जब पाश पाश हो गया,
दिल मेरा मरीजेखाश हो गया,
धोखा दे गयी कमबख्त आंखे,
महोब्बतका परदाफाश हो गया,
मर जाते बुदजील कहेता जहां,
जीना अब मंजीलेआश हो गया,
फुलोकी खुश्बु से खुशनुमा था,
बाग भी अब तहसनाश हो गया,
गुजार देते ताउम्र यादोमे तेरी,
एक ख्वाब भी तारोताश हो गया,
दिवानगीका कुछ तो हुआ असर,
नाम जुडनेसे चिरागेखाश हो गया ।
नीशीत जोशी 13.06.11
આના પર સબ્સ્ક્રાઇબ કરો:
પોસ્ટ ટિપ્પણીઓ (Atom)
ટિપ્પણીઓ નથી:
ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો