ગુરુવાર, 16 જૂન, 2011
चाहे वैसे रख
यह जीन्दगी तेरी ही है तु चाहे वैसे रख,
यह जान तेरे ही चरणोमे जाये वैसे रख,
किसीके आंखोमे न आये एक बुन्द आंसु,
किसीके लिये कुछ करगुजर जाये वैसे रख,
जात मजहब की कश्मकशमे पडे है लोग,
परायोको दिलसे अपना बना जाये वैसे रख,
ओजल नही फिरभी नादानोके लिये ओजल,
ज्यादा वोह भी नादानी न कर जाये वैसे रख,
परदे मे रहेनेकी आदत है तुजे परदा ही सही,
जब चाहे मुजे तेरा दिदार मील जाये वैसे रख ।
नीशीत जोशी 14.06.11
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