શનિવાર, 18 જૂન, 2011

क्या करना है


यह एक मन की भावना है, कृपिया कोइ भी अपने दिल पे न लेवे |

वोह महल देख क्या करना है,
कहो तुम्हे इश्क क्या करना है,

अमर हो गये लोग प्यार करके,
दास्तां सुन तुम्हे क्या करना है,

जी को मचलाना छोडो मोज करो,
तुम्हे कहां जीना दुस्वार करना है,

इश्क कोइ खेल नही चाहे वो खेले,
यह समंदर है डुबके पार करना है,

जज्बात अलग नही होते इश्क में,
दिल तुटने पर भी प्यार करना है,

इतिहासके पन्नो पे चडता है नाम,
तुम्हे तो ताजमहल देखा करना है,

कब्रमेंभी सुकु मीलता है एक फुलसे,
तुम्हे दिलकी बीती से क्या करना है ।

नीशीत जोशी 18.06.11

ટિપ્પણીઓ નથી:

ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો